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सार्वजनिक बैंकों में पूंजी डालना जारी रखेगा वित्त मंत्रालय

इससे बैंकों की पूंजी जरूरत में कमी आई है। इसके बावजूद वित्त मंत्रालय सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को पूंजी उपलब्ध कराने की योजना में कटौती नहीं करेगा।

नई दिल्ली : वित्त मंत्रालय सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में पूंजी डालने के अपने कार्यक्रम में संभवत: कोई बदलाव नहीं करेगा। रिजर्व बैंक ने बासेल- तीन नियमों को लागू करने की समय सीमा को आगे बढ़ाने का फैसला किया है। इससे बैंकों की पूंजी जरूरत में कमी आई है। इसके बावजूद वित्त मंत्रालय सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को पूंजी उपलब्ध कराने की योजना में कटौती नहीं करेगा।

सूत्रों ने यह जानकारी दी है। सूत्रों के अनुसार रिजर्व बैंक के फैसले के बाद नई व्यवस्था के तहत सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को पूंजी मानकों को पूरा करने के लिये अब कम पूंजी की आवश्यकता होगी। सरकार की तरफ से पूंजी की जरूरत घटकर 15,000 से 20,000 करोड़ रुपये रह जाने का अनुमान है।

सूत्रों का कहना है कि बैंकों को बासेल तीन नियमों का अनुपालन अब मार्च 2020 तक करना होगा जबकि पहले यह समय सीमा मार्च 2019 रखी गई थी। इस नियम के तहत बैंकों को 2.5 प्रतिशत ‘पूंजी सुरक्षा कोष’ (सीसीबी) की शर्त मार्च 2020 तक पूरी करनी होगी। फिलहाल सीसीबी 1.875 प्रतिशत है।

पूंजी डाले जाने से बैंकों की वित्तीय सेहत मजबूत होगी। कुछ बैंकों को जहां जरूरी नियामकीय पूंजी मिलेगी वहीं अन्य को वृद्धि को गति देने के लिये पूंजी मिलेगी। हालांकि, निदेशक मंडल ने पूंजी पर्याप्तता अनुपात 9 प्रतिशत पर बरकरार रखने का फैसला किया जो बासेल तीन नियमों के तहत 8 प्रतिशत है।

बैंकों पर बोझ हाेगा कम
रेटिंग एजेंसी क्रिसिल के अनुसार बासेल-तीन के तहत सीसीबी की अंतिम किस्त के क्रियान्वयन की समयसीमा बढ़ने से चालू वित्त वर्ष में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों पर बोझ 35,000 करोड़ रुपये कम होगा। सूत्रों के अनुसार सामान्य रूप से बैंक पूंजी का 10 गुना तक कर्ज देते हैं, ऐसे में उनकी कर्ज देने की क्षमता 3.5 लाख करोड़ रुपये बढ़ जाएगी।

मंत्रालय बैंकों की जरूरतों का आकलन करने के बाद इस माह के अंत या अगले महीने के पहले पखवाड़े में करीब 54,000 करोड़ रुपये की पूंजी डाले जाने को अंतिम रूप दे सकता है। मंत्रालय ने इस साल की शुरूआत में सार्वजनिक क्षेत्र के पांच बैंकों को 11,336 करोड़ रुपये की पूंजी उपलब्ध कराई थी।

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