आज से बाहर खाने पर आपको कम टैक्स चुकाना होगा। पिछले हफ्ते होटलों को लेकर कम किए गए जीएसटी रेट आज से लागू हो गए हैं। इसके बाद आप चाहे एसी वाले होटल में जाएं या नॉन-एसी, आपको सिर्फ 5 फीसदी टैक्स देना होगा।
एसी, नॉन एसी होटल्स पर 5 प्रतिशत जी.एस.टी.
परिषद ने बैठक में सभी तरह के एसी और नॉन एसी होटल्स में खाने पर लगने वाले जी.एस.टी. को 18 प्रतिशत से 5 प्रतिशत कर दिया है। इसके बाद इन होटल्स में खाना आपको काफी सस्ता पड़ेगा।
इन चीजों लगेगा 18 प्रतिशत जी.एस.टी.
परिषद ने 178 चीजों को 28 प्रतिशत जी.एस.टी. के दायरे से बाहर किया है। इनमें कुछ चीजों पर आज से 18 प्रतिशत जी.एस.टी. ही लगेगा। इन चीजों में चॉकलेट, डिटर्जेंट, शैंपू, हेयर क्रीम, मेंहदी, डियोड्रेंट, पंखे, पंप, लैंप, सेनेटरी वेयर्स, मार्बल, ग्रेनाइट, ग्लास, वायर, केबल, इलेक्ट्रिक बोर्ड, फर्नीचर, आग बुझाने वाले यंत्र, रबर ट्यूब, सभी तरह के संगीत उपकरण और उनके पार्ट्स, कलाई घड़ी, घड़ी और वॉच केस एवं उससे जुड़े सामान, ऑफिस, डेस्क इक्विपमेंट, सीमेंट, कंक्रीट और कृतिम पत्थर से बने सामान, कृत्रिम फूल, पत्ते, फल, वसा और तेल पाउडर, 500 रुपए से ज्यादा के जूते, सॉफ्टवेयर, जैम, सॉस, सूप, आईसक्रीम,कैमरा, एल्युमिनियम फॉइल आदि शामिल हैं।
यहां देना होगा ज्यादा टैक्स
लेकिन कुछ होटल हैं, जहां आपको अभी भी 18 फीसदी जीएसटी चुकाना होगा। अगर आप किसी ऐसे होटल में खाना खाने जाते हैं, जहां एक कमरे का किराया एक रात के लिए 7500 रुपये से ज्यादा है, तो यहां आपको 18 फीसदी जीएसटी रेट अदा करना होगा। इसमें ज्यादातर फाइव स्टार होटल आते हैं। फाइव स्टार होटल के अलावा आउटडोर कैटरिंग पर भी 18 फीसदी जीएसटी आपको देना होगा। इस मामले में टैक्स स्लैब में कोई राहत नहीं दी गई है। हालांकि ये लोग इनपुट टैक्स क्रेडिट का फायदा ले सकते हैं।
इन पर अब लगेगा 12 प्रतिशत जी.एस.टी.
1 हजार से ज्यादा के कपड़ों, फ्रोजन मीट, बटर, चीज, घी, पैकेज्ड मेवे, सॉसेज, फ्रूट ज्यूस, नमकीन, आयुर्वेदिक दवाईयां, टूथ पावडर, अगरबत्ती, कलरिंग बुक, छाते, सिलाई मशीन, सेलफोन, सभी तरह के डाइग्नोस्टिक किट, चम्मच, कांटे, चेस बोर्ड, केरम बोर्ड, किचनवेयर्स, टैक्सटाइल आदि पर 12 प्रतिशत जी.एस.टी. लगेगा।
बढ़ा सकते हैं चार्ज
पिछले दिनों होटल मालिकों ने चार्ज बढ़ाने की बात भी कही थी। अगर होटल मालिकों की तरफ से ऐसा कदम उठाया जाता है, तो उसका असर आम आदमी की जेब पर पड़ सकता है। इससे जीएसटी रेट कम होने की बजाय भी आम आदमी को ज्यादा बिल चुकाना पड़ सकता है।