नई दिल्ली : सस्ते और कम गुणवत्ता वाले चीनी माल की बढ़ती डंपिंग और उससे घरेलू उद्योग को होने वाले नुकसान पर चिंता व्यक्त करते हुये संसद की एक स्थायी समिति ने सरकार से किसी भी तरह के अवैध, संरक्षणवादी और अनुचित व्यापार व्यवहार के समक्ष घरेलू उद्योगों को पूर्ण सुरक्षा देने की सिफारिश की है। नरेश गुजराल की अध्यक्षता वाली वाणिज्य पर गठित संसद की स्थायी समिति ने अपनी 145वीं रिपोर्ट में चीनी माल के बढ़ते आयात से घरेलू उद्योगों और रोजगार के अवसरों को हो रहे नुकसान पर विस्तारपूर्वक गौर किया और सरकार को जरूरी उपायों के बारे में अपनी सिफारिशें दी हैं।
चीनी माल के भारतीय उद्योगों पर पड़ने वाले प्रभाव संबंधी इस रिपोर्ट को संसद के हाल ही में संपन्न शीतकालीन सत्र के दौरान पेश किया गया। रिपोर्ट के अनुसार 2007-08 में चीन के साथ भारत का द्विपक्षीय व्यापार जहां 38 अरब डालर था वहीं यह 2017-18 में बढ़ कर 89.6 अरब डालर पर पहुंच गया। वर्ष 2013-14 में देश के कुल आयात में चीन से होने वाले आयात का हिस्सा 11.6 प्रतिशत था जो कि 2017-18 में तेजी से बढ़कर 16.6 प्रतिशत पर पहुंच गया। चीन से होने वाले आयात में 2013-14 में सालाना आयात वृद्वि जहां 9 प्रतिशत थी वहीं 2017-18 में वृद्वि 20 प्रतिशत पर पहुंच गई।
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इस दौरान चीन के साथ व्यापार घाटा 63 अरब डालर तक पहुंच गया जो देश के कुल व्यापार घाटे का 40 प्रतिशत रहा। समिति ने हालांकि, यह भी कहा है कि वह चीन के साथ व्यापार करने के खिलाफ नहीं है, लेकिन सरकार को किसी भी देश से भारत के साथ अवैध, संरक्षणवादी और अनुचित तरीके से होने वाले व्यापार से घरेलू उघोगों को पूरा संरक्षण देना चाहिये।