नई दिल्ली : सरकार माल एवं सेवा कर नेटवर्क (जीएसटीएन) को सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी में बदलने की तैयारी में है। जीएसटीएन इस नई अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था में सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) ढांचे को देखती है। अभी निजी क्षेत्र के वित्तीय संस्थान जीएसटीएन में बहुलांश हिस्सेदार हैं। उनकी कंपनी में हिस्सेदारी 51 प्रतिशत है। शेष 49 प्रतिशत हिस्सेदारी केंद्र और राज्य सरकारों के पास है। जीएसटी पिछले साल एक जुलाई से लागू हुआ है। इसमें एक दर्जन के करीब स्थानीय कर समाहित हुए हैं।
संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के कार्यकाल में जीएसटीएन का गठन 28 मार्च, 2013 को प्राइवेट लि. कंपनी के रूप में हुआ था। गैर सरकारी वित्तीय संस्थानों एचडीएफसी, एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, एनएसई स्ट्रैटेजिक इन्वेस्टमेंट कंपनी और एलआईसी हाउसिंग फाइनेंस लि. के पास जीएसटीएन की 51 प्रतिशत हिस्सेदारी है।
अभी तक एक करोड़ कंपनियां और कारोबार जीएसटीएन पोर्टल पर पंजीकरण करा चुकी हैं। भाजपा सांसद सुब्रमण्यन स्वामी पूर्व में कई मौकों पर जीएसटीएन के शेयरधारिता तरीके पर सवाल उठा चुके हैं। उनका कहना है इससे डेटा सुरक्षा को जोखिम हो सकता है। स्वामी ने अगस्त, 2016 को इस बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र भी लिखा था।
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