मुंबई : भारतीय रिजर्व बैंक ने कहा कि उसने डेबिट कार्ड से लेनदेन पर शुल्कों को युक्तिसंगत बनाने का फैसला किया है ताकि डिजिटल भुगतान को और प्रोत्साहित किया जा सके। केंद्रीय बैंक ने यहां मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के प्रस्ताव के साथ इस बारे में विकासात्मक व नियामकीय नीतियों पर बयान जारी किया है। इसमें कहा गया है कि हाल ही में प्वाइंट आफ सेल (पीओएस) पर डेबिट कार्ड के लिए भुगतान में काफी बढोतरी देखने को मिली है। इसमें कहा गया है, मर्चेंट के विस्तृत नेटवर्क पर सामान व सेवाओं की खरीद के लिए डेबिट कार्ड से भुगतान को और बल देने के उद्देश्य से मर्चेंट डिस्काउंट रेट (एमडीआर) के लिए रूपरेखा को युक्तिसंगत बनाने का फैसला किया गया है।
एमडीआर डेबिट कार्ड के जरिए लेनदेन पर मर्चेंट की श्रेणी के आधार पर लागू होता है। एमडीआर कोई बैंक डेबिट व क्रेडिट कार्ड सेवाएं उपलब्ध करवाने के लिए मर्चेंट यानी व्यापारिक इकाई पर लगाता है। केंद्रीय बैंक की एक मसौदा रपट में मर्चेंट कारोबार के आधार पर एमडीआर के पुनर्गठन करने का सुझाव दिया गया था। फिलहाल सौदे के मूल्य के आधार पर स्लैब दर है। बयान के अनुसार संशोधित एमडीआर का उद्देश्य डेबिट कार्ड का इस्तेमाल बढ़ाना तथा इसमें शामिल इकाइयों के कारोबार के स्वास्थ्य को भी सुनिश्चित करने के लक्ष्य को हासिल करना है। इस बीच केंद्रीय बैंक ने भारतीय बैंकों की विदेशी शाखाओं व अनुषंगियों को एएए श्रेणी वाली कंपनियों के साथ साथ नवरत्न व महारत्न पीएसयू कंपनियों की बाहय वाणिज्यिक उधारियों ईसीबी के पुनर्वित्तपोषण की अनुमति देने का फैसला किया है।
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