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RCOM को नहीं मिली राहत

वहीं, आरकॉम ने सुप्रीम कोर्ट से ज्यादा वक्त की मांग की थी। सुप्रीम कोर्ट ने अक्टूबर में सुनवाई करते हुए भुगतान के लिए 15 दिसंबर की डेडलाइन तय की थी।

नई दिल्ली : रिलायंस कम्युनिकेशंस (आरकॉम) को एरिक्सन के बकाया 550 करोड़ रुपए 15 दिसंबर तक चुकाने पड़ेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने भुगतान के लिए ज्यादा वक्त देने की आरकॉम की याचिका गुरुवार को खारिज कर दी। आरकॉम को सितंबर आखिर तक एरिक्सन को पैसे चुकाने थे लेकिन, वह ऐसा नहीं कर पाई।

एरिक्सन ने उसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका लगा दी। वहीं, आरकॉम ने सुप्रीम कोर्ट से ज्यादा वक्त की मांग की थी। सुप्रीम कोर्ट ने अक्टूबर में सुनवाई करते हुए भुगतान के लिए 15 दिसंबर की डेडलाइन तय की थी। साथ ही कहा था कि ऐसा नहीं करने पर आरकॉम को सालाना 12% की दर से ब्याज देना पड़ेगा।

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार की सुनवाई में कहा कि रिलायंस कम्युनिकेशंस के लिए यह आखिरी मौका है। वह तय समय पर भुगतान नहीं करती है तो एरिक्सन उसके खिलाफ फिर से अवमानना याचिका खोल सकती है।

दूरसंचार विभाग के खिलाफ आरकॉम की याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई : सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक दूरसंचार विभाग को 9 दिसंबर तक रिलायंस कम्युनिकेशंस-जियो की डील के लिए एनओसी जारी करनी थी। लेकिन, ऐसा नहीं हुआ। आरकॉम ने इसे कोर्ट की अवमानना बताते हुए दूरसंचार विभाग के खिलाफ याचिका दायर कर दी। सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को इस पर सुनवाई करेगा।

चार साल पुराना है विवाद
स्वीडन की टेलीकॉम उपकरण निर्माता कंपनी एरिक्सन और आरकॉम के बीच विवाद 4 साल पुराना है। आरकॉम ने 2014 में अपना टेलीकॉम नेटवर्क संभालने के लिए एरिक्सन से 7 साल की डील की थी। एरिक्सन का आरोप है कि रिलायंस कम्युनिकेशंस ने बकाया 1,500 करोड़ रुपए का भुगतान नहीं किया। एरिक्सन ने उसके खिलाफ एनसीएलटी में याचिका दायर की थी।

एरिक्सन ने साल 2014 में रिलायंस कम्युनिकेशंस का टेलीकॉम नेटवर्क संभालने के लिए 7 साल की डील की थी। एरिक्सन का आरोप है कि आरकॉम ने बकाया 1,500 करोड़ रुपए का भुगतान नहीं किया। एरिक्सन ने उसके खिलाफ एनसीएलटी में याचिका दायर की थी। दोनों कंपनियों के बीच हुए सेटलमेंट के तहत एनसीएलटी ने 30 मई को अंतरिम आदेश जारी किए कि रिलायंस कम्युनिकेशंस 4 महीने में 550 करोड़ रुपए का भुगतान करे।

सुप्रीम कोर्ट ने आरकॉम और एरिक्सन के बीच दिवालिया कोर्ट (एनसीएलटी) में हुए सेटलमेंट को मंजूरी देते हुए पहली बार 30 सितंबर तक भुगतान का समय तय किया था।

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