मुंबई : सरकार ने शुक्रवार को कहा कि धन के अवैध प्रवाह को रोकने के प्रयासों के दूसरे चरण (2018-19) में करीब 55 हजार मुखौटा कंपनियों का निबंधन रद्द कर दिया गया है और इन कई कंपनियों को नोटिस जारी कर उनकी जांच की जा रही है। कॉरपोरेट मामलों का मंत्रालय पहले चरण (2017-18) में दो साल या इससे अधिक समय तक वित्तीय जानकारियां या वार्षिक रिटर्न दायर नहीं करने वाली 2.26 लाख से अधिक मुखौटा कंपनियों का निबंधन रद्द कर चुका है।
कॉरपोरेट मामलों के राज्य मंत्री पी.पी. चौधरी ने इंडो-अमेरिकन चैंबर ऑफ कॉमर्स के चौथे वार्षिक सम्मेलन से इतर यहां संवाददाताओं से कहा कि जहां तक मुखौटा कंपनियों का सवाल है, पहले चरण में हमने प्रावधानों का अनुपालन नहीं करने वाली करीब 2.26 लाख कंपनियों का निबंधन रद्द कर दिया है। इनमें से 400 से अधिक कंपनियां एक कमरे से संचालित हो रही थीं। पी.पी. चौधरी ने कहा कि दूसरे चरण में हम पहले ही करीब 55 हजार कंपनियों का पंजीयन रद्द कर चुके हैं और कई कंपनियां जांच के घेरे में हैं।
मुखौटा कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई तेज
चौधरी ने कहा कि सरकार धन का हेर-फेर, मादक पदार्थों का वित्त पोषण या किसी अन्य अवैध गतिविधियों के द्वारा कॉरपोरेट ढांचे का दुरुपयोग होने देना नहीं चाहती है। उन्होंने कहा कि गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय (एसएफआईओ) एवं अन्य प्रवर्तन प्राधिकरण मुखौटा कंपनियों के मामले की जांच कर रहे हैं और जरूरत पड़ने पर कार्रवाई की जा रही है।