मुंबई : विश्व बाजार में कच्चे तेल के बढ़ते दाम से महंगाई बढ़ने को लेकर चिंतित रिजर्व बैंक ने अपनी नीतिगत दर में कोई बदलाव नहीं किया। केन्द्रीय बैंक को खाद्यान्नों के दाम बढ़ने और राजकोषीय लक्ष्यों के हासिल नहीं होने की चिंता भी सता रही है। हालांकि, उसने कहा है कि 2018-19 में आर्थिक वृद्धि दर बढ़कर 7.4 प्रतिशत हो जायेगी। रिजर्व बैंक के गर्वनर उर्जित पटेल के नेतृत्व में मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) को उम्मीद है कि निवेश गतिविधियां बढ़ने से चालू वित्त वर्ष के दौरान आर्थिक वृद्धि की दर बढ़कर 7.4 प्रतिशत तक पहुंच जायेगी। पिछले वित्त वर्ष में यह 6.6 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
एमपीसी ने चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में खाद्यान्न के दाम में नरमी को देखते हुये खुदरा मुद्रास्फीति के 4.7 प्रतिशत से 5.1 प्रतिशत के दायरे में रहने का अनुमान लगाया है। चालू वित्त वर्ष की पहली मौद्रिक समीक्षा में प्रमुख नीतिगत दर को पूर्वस्तर पर बरकरार रखे जाने से आवास, वाहन के लिये कर्जदारों की मासिक किस्तों पर कोई असर नहीं होगा। हालांकि, बैंक अपनी संपत्ति देनदारी स्थिति को देखते हुये जमा और कर्ज की ब्याज दरों में बदलाव करने के लिये मुक्त हैं।
एमपीसी ने लगातार चौथी बार रेपो दर में यथास्थिति बनाये रखी। इससे पहले पिछले साल अगस्त में रेपो दर में चौथाई फीसदी कटौती की गई थी। तब से यह6प्रतिशत पर बनी हुई है। रेपो दर वह दर होती है जिसपर अन्य बैंक, रिजर्व बैंक से अपनी फौरी जरूरतों के लिये अल्पकालिक कर्ज लेते हैं। दूसरी तरफ रिवर्स रेपो दर भी 5.75 प्रतिशत पर टिकी रही।
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