मुंबई : वैश्विक बाजार में कच्चे तेल का दाम ऊंचा बने रहने के साथ रुपये पर दबाव बना रह सकता है और अगले तीन महीने में अमेरिकी डालर के मुकाबले 76 के स्तर पर पहुंच सकता है। डालर के लगातार मजबूत होने तथा विदेशी पूंजी प्रवाह की कमी तथा कच्चे तेल के ऊंचे दाम के कारण घरेलू मुद्रा 74 रुपए प्रति डालर के स्तर को पार कर गयी थी। चालू वर्ष में रुपया 15 प्रतिशत से अधिक टूट चुका है।
स्विट्जरलैंड की ब्रोकरेज कंपनी यूबीएस ने ने सप्ताहांत रिपोर्ट में कहा, ‘‘यह मान लिया जाए कि वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल का दाम ऊंच बना रहता है और यह 80 डालर बैरल से ऊपर रहता है तो हमारा अनुमान है कि रुपया अगले तीन महीने में टूटकर 76 के स्तर पर जा सकता है।’’ इस साल अप्रैल से लेकर अगस्त के पहले सप्ताह तक आरबीआई उतार-चढ़ाव को थामने के लिये बाजार में हस्तक्षेप करता रहा है।
इसके कारण विदेशी मुद्रा भंडार में उल्लेखनीय कमी आयी है और यह पिछले सप्ताह 25 अरब डालर घटकर 393 अरब डालर पर पहुंच गया। इससे आरबीआई ने दो बार रेपो दर में कुल मिलाकर 0.50 प्रतिशत की वृद्धि की है। रिपोर्ट के मुताबिक अक्टूबर में प्रमुख नीतिगत दर को यथावत रखते हुए आरबीआई ने संकेत दिया है कि वह रुपये को थामने के लिये ब्याज दर का उपयोग नहीं करेगा।