मुंबई : गत सप्ताह भारतीय शेयर बाजारों में भारी उथल-पुथल बनी हुई थी। बैंकों, ऑटो सहित अन्य करीब 90 प्रतिशत शेयरों में लिवाली कमजोर तथा बिकवाली का प्रैशर बना होने से बीएसई वीरवार 34297.47 की तुलना में टूटकर अंत में 34010.76 अंक रह गया। एनएसई भी इसी अवधि में 10545.50 से गिरकर 10452.30 अंकरह गया। बैंकों का दिया लोन वापिसी न मिलने की दिक्कतों से अन्य कम्पनियों के शेयर प्रभावित होने से घरेलू शेयर बाजारों पर मंदे का बोझ पड़ा। आलोच्य सप्ताह कई कारणों से भारतीय शेयर बाजारों में बिकवाली का प्रैशर बना हुआ था तथा भारी उथल-पुथल के बीच बाजारों पर मंदे का प्रभाव पड़ा।
सबसे ज्यादा बैंकों के शेयरों पर मंदे का प्रभाव रहा, जिसमें एसबीआई, पीएनबी आदि सरकारी बैंक के अलावा कुछ गैर-सरकारी बैंकों के शेयर लुढ़कते देखे गये। इसके अलावा गत सप्ताह खुदरा व थोक महंगाई जनवरी माह के मैनुफैक्चरिंंग उत्पादन तथा ऑर्डर बुकिंग में भारी कमी की खबरों से महंगाई आंकड़े चालू कलैण्डर के जनवरी माह के नीचे आए। बैंकों का ऋण वापिसी न होने के चलते एनपीए में भारी बढ़ोत्तरी के समाचारों से बैंक सम्बन्धित कई अन्य कम्पनियों जैसे ऑटो, तेल, कोल यानि इन्फ्रा क्षेत्र के शेयरों में मंदे का दबदबा लगभग पूरे सप्ताह ही बना रहा।
अंतिम सत्र के दौरान तो 90 प्रतिशत शेयरों से अधिक में गिरावट का यह सिलसिला चला। मैटल, आईटी, स्टील व एफएमसीजी के शेयरों में भी गिरावट आई। हालांकि गत सप्ताह आरम्भ यानि सोमवार को चले कार्यसत्र के दौरान 75 प्रतिशत से अधिक शेयरों में सुधार से बीएसई व एनएसई में अच्छी बढ़ोत्तरी हुई थी, जिसमें बीएसई पिछले सप्ताह की तुलना में सोमवार को 300 अंक के करीब की बढ़ोत्तरी दर्ज कर बंद हुआ था।
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