नई दिल्ली : सरकार जरूरत होने पर दिवाला एवं शोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) में और बदलाव को तैयार है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी दी। कॉरपोरेट मामलों के सचिव इंजेती श्रीनिवास ने इस कानून को लेकर कई ‘मिथकों’ को दूर करने का प्रयास करते हुए इसे पासा पलटने वाला करार दिया। इनमें जानबूझकर कर्ज न चुकाने वालों को दबाव वाली संपत्तियों के लिए बोली लगाने से रोकने संबंधी प्रावधान भी है।
श्रीनिवास ने यहां आईबीबीआई और इंदिरा गांधी विकास एवं अनुसंधान संस्थान द्वारा आयोजित सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, कि सरकार अच्छे सुझावों पर गौर करने को तैयार है। सरकार समीक्षा कर इस संहिता में आगे और बदलाव कर सकती है। आईबीसी कॉरपोरेट मामलों के तहत आता है। इसमें पहले ही दो बार संशोधन हो चुका है।
इसी कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कॉरपोरेट मामलों के राज्यमंत्री पी पी चौधरी ने कहा कि आईबीसी भारत में उद्यमशीलता का समर्थन करने वाले ऋण बाजार के निर्माण की दिशा में पहला बड़ा कदम है। भारतीय दिवाला एवं शोधन अक्षमता बोर्ड (आईबीबीआई) इस संहिता का क्रियान्वयन कर रहा है। इस मौके पर आईबीबीआई के चेयरपर्सन एम एस साहू और अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।