नयी दिल्ली : सरकार ने जीएसटी के क्रियान्वयन के बाद पहले के बचे हुएमाल पर कीमत को लेकर भ्रम को आज दूर किया। इसके तहत प्रकाशित अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) के साथ संशोधित कीमत को लेकर स्टिकर के उपयोग की अनुमति दी गयी है। यानी पुराने मालपर अब पहले के एमआरपी के साथ जीएसटी के बाद कीमत में हुए बदलाव की अलग से जानकारी देनी होगी। इसका मकसद बिक्री मूल्य में बदलाव को प्रतिबिंबित करना है। यह अनुमति तीन महीने के लिये दी गयी है। सरकार को यह जानकारी मिली थी कि कई कंपनियों के पास एक जुलाई से लागू जीएसटी से पहले के काफी माल बचे हुए हैं। पहले के सामान पर जीएसटी से पहले के सभी करों के साथ एमआरपी है। लेकिन नई व्यवस्था लागू होने के साथ कर घटने या बढऩे के कारण कुछ वस्तुओं के खुदरा मूल्य में बदलाव आया है। उपभोक्ता मामलों के सचिव अविनाश श्रीवास्तव ने यहां संवाददाताओं से कहा कि पुराना एमआरपी को बचे हुए माल पर अनिवार्य रूप से दिखाना है और नई दर को स्टिकर के जरिये दिखाया जा सकता है।
जिन बचे हुए माल पर वस्तुओं पर कीमत बढ़ी है, विनिर्माता, पैकिंग करने वाले या आयातक को दो या अधिक अखबरों में विज्ञापन देकर कीमत में बदलाव के बारे में सूचना देनी होगी। हालांकि 30 सितंबर के बाद डिब्बाबंद वस्तुओं पर प्रकाशित एमआरपी पर अनिवार्य रूप से जीएसटी दर की जानकारी देनी होगी और अलग से स्टिकर की अनुमति नहीं होगी।एक सरकारी अधिसूचना में कहा गया है, केंद्र सरकार एक जुलाई से 30 सितंबर तक विनिर्माताओं या पैकिंग करने वाले या आयातकों को डिब्बाबंद जिंसों पर एमआरपी में बदलाव के बारेमें घोषणा करने की अनुमति होगी। एमआरपी में बदलाव के बारे में घोषणा स्टांप या अलगसे स्टिकर लगाकर अथवा आनलाइन प्रिटिंग के जरिये की जा सकती है। इसमें कहा गया है कि पहले से लिखित खुदरा बिक्री मूल्य और संशोधित कीमत में अंतर किसीभी स्थिति में जीएसटी लागू होने के कारण कर में वृद्धि से ज्यादा नहीं होगा। अधिसूचना में कहा गया है, मूल एमआरपी बना रहेगा और संशोधित कीमत उसी पर नहीं लिखा जाना चाहिए।