नई दिल्ली : गत सप्ताह यूपी से लगातार गेहूं का दबाव बढ़ जाने से 30 रुपए क्विंटल का मंदा आ गया। वहीं बारीक चावल, निर्यातकों की चौतरफा लिवाली चलने एवं धान की आवक में भारी कमी होने से 250/300 रुपए क्विंटल उछल गये। दलहनों में उक्त अवधि के अंतराल 50 रुपए की नरमी रही। जबकि देशी चना 100 रुपए ऊपर-नीचे होकर थोड़ी मजबूती लिए बंद हुआ। आलोच्य सप्ताह यूपी के इलाहाबाद, चित्रकूट, गोंडा, कानपुर, बहराइच, सम्भल लाइन से गेहूं की आवक 7-8 ट्रक से बढक़र 10-11 ट्रक दैनिक हो जाने एवं लोकल स्टॉकिस्टों की बिकवाली से 30 रुपए टूटकर 1770/1780 रुपए प्रति क्विंटल रह गया।
गौरतलब है कि पूना, बंगलौर एवं नासिक लाइन की रोलर फ्लोर मिलों में विदेशी गेहूं 1700/1740 रुपए पहुंच में बिक रहा है। इसके प्रभाव से उत्तर भारत का गेहूं इस बार केवल 30 प्रतिशत ही लोड हो पाया है। दूसरी ओर गेहूं का उत्पादन 900 लाख से बढक़र 1000 लाख टन के करीब होने से केन्द्रीय पूल में गेहूं की खरीद भी 80 लाख टन अधिक हुई है तथा किसानों व स्टॉकिस्टों का गेहूं स्टॉक में फंस जाने से अब तेजी से निकलने लगा है। यही कारण है कि ऑफ सीजन में लगातार मंदे का रुख बना हुआ है।
आटा, मैदा एवं चोकर के भाव भी 30/50 रुपए प्रति 50 किलो लुढक़कर यहां की मिलों में 960 रुपए 975 एवं 760 रुपए प्रति 50 किलो रह गये। जबकि सूजी के भाव पूर्वस्तर पर टिके रहे। वहीं बारीक चावल में चौतरफा निर्यातकों की लिवाली चलने से उक्त अवधि के अंतराल 250/300 रुपए की तेजी आ गयी। यहां 1121 सेला चावल 7150/7200 रुपए एवं 1509 के भाव 6900/6925 रुपए की ऊंचाई पर जा पहुंचे।
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