नेशनल मेडिकल बिल बनाने के सरकार के नए प्रस्ताव के खिलाफ आज इंडियन मेडिकल एसोसिएशन से जुड़े देश के प्राइवेट से लेकर सरकारी अस्पतालों के 3 लाख से अधिक डॉक्टर हड़ताल पर जा रहे हैं। OPD ठप रहने का अनुमान है, हालांकि इमरजेंसी सेवा जारी रहेगी। एक दिन की इस हड़ताल से मरीजों को कितनी परेशानी होगी इसकी अंदाजा लगाया जा सकता है।
मुंबई, बैंगलुरू, तमिलनाडु, चेन्नई, कोलकाता, दिल्ली, सभी बड़े शहरों में लगभग मेडिकल सेवाएं ठप रहेंगी। बस इमरजेंसी सेवाएं मिल सकती हैं। सरकार मेडिकल बिल ला रही है, इस बिल के विरोध में ही ये हड़ताल की जा रही है। मुंबई HC ने MSRTC की हड़ताल को अवैध ठहराया, कर्मचारियों को काम पर लौटने का आदेश दिया है।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन का कहना है कि अगर ये बिल पास हुआ तो इतिहास का काला दिन होगा। क्योंकि अगर ये क़ानून लागू हुआ तो इलाज महंगा होगा और भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलेगा। आईएमए नए बिल के कई प्रावधानों के ख़िलाफ़ है। प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में 15% सीटों की बज़ाय 60% सीटों की फीस तय करने का अधिकार मैनेजमेंट को दिया जाना है। MBBS के बाद भी प्रैक्टिस के लिए एक और परीक्षा देने को अनिवार्य बनाना जैसे कई दूसरे प्रावधानों का विरोध हो रहा है। इसमें एमसीआई की जगह एक राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग बनाने का प्रावधान है।
आईएमए के नवनियुक्त राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ रवि वनखेडकर ने कहा, ‘‘मौजूदा स्वरूप में एनएमसी विधेयक स्वीकार्य नहीं है। यह विधेयक गरीब विरोधी, जन विरोधी है और अलोकतांत्रिक स्वरूप वाला है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए आईएमए मुख्यालय कल देशभर में सुबह छह बजे से शाम छह बजे तक 12 घंटे नियमित सेवाएं बंद रखने का ऐलान करता है।’’
दिल्ली चिकित्सा संघ (डीएमए) आईएमए के विरोध प्रदर्शन का समर्थन कर रहा है और उसने राष्ट्रीय राजधानी में सभी निजी और कॉर्पोरेट अस्पतालों में ओपीडी सेवाएं बंद करने का आह्वान किया है। आईएमए के पूर्व अध्यक्ष डॉ के के अग्रवाल ने कहा कि उन्होंने पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और स्वास्थ्य मंत्री को पत्र लिखकर विधेयक का मसौदा फिर से तैयार करने और कुछ प्रावधानों में बदलाव का आग्रह किया था।उन्होंने कहा कि आयुष स्नातकों को एक ब्रिज पाठ्यक्रम करने के बाद आधुनिक चिकित्सा पद्धति की प्रेक्टिस करने की इजाजत देने वाला प्रावधान गलत तरह से इलाज के तरीकों को बढ़ावा देगा।
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