प्रदेश के वित्त मंत्री राजेश अग्रवाल ने वित्त वर्ष 2017-18 के लिये मंगलवार को विधानसभा में किसानों का मंगलकारी वार्षिक बजट प्रस्तुत किया। इसमें भाजपा की बहुप्रचारित किसान कर्जमाफी के लिये 36 हजार करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। श्री अग्रवाल ने बजट सत्र के पहले दिन बजट भाषण शुरू करते हुए कहा है कि सरकार का यह बजट लोककल्याण के मूल मंत्र से प्रेरित है इसमें जहां ग्रामीण क्षेत्र के विकास पर बल दिया गया है, वहीं नगरीय क्षेत्रों के विकास पर भी ध्यान दिया गया है। उन्होंने सदन को बताया कि फसली कर्जमाफी के लिये बजट में 36 हजार करोड़ रुपए की व्यवस्था कर दी गयी है। सरकार का उद्देश्य अगले पांच वर्षों में 10 प्रतिशत की विकास दर प्राप्त करना है।
बजट में शामिल विभिन्न योजनाओं का जिक्र करते हुए वित्त मंत्री ने बताया कि बजट में मेक इन यूपी को बढ़ावा देने तथा पॉवर फॉर ऑल एवं डिजिटल इंडिया को आगे बढ़ाने के उद्देश्यों को शामिल किया गया है। उन्होंने कहा कि जीएसटी 19 मई को अधिसूचित की जा चुकी है। इससे आर्थिक वृद्धि होगी और व्यापार बढऩे से केन्द्र और राज्य सरकार की आय में बढ़ोत्तरी होगी। श्री अग्रवाल ने कहा कि काफी समय बाद ऐसा हुआ है कि केन्द्र और प्रदेश में एक ही दल की अगुवाई वाली सरकार है। हमारी सरकार केन्द्र के समन्वय से सरकार चलाएगी जबकि पिछली सरकारें ऐसा नहीं करती थीं।
वित्त मंत्री ने कहा कि पूर्वांचल के 38 जिले इंसेफेलाइटिस से प्रभावित हैं। उनमें से सात जिले इससे अत्यन्त प्रभावित हैं। सरकार ने अपने शुरुआती 100 दिनों में 88.62 लाख बच्चों को प्रतिरोधक टीका लगाया है। उन्होंने कहा कि नेताओं और अभिनेताओं के नाम के बजाय सीमा पर शहीद होने वाले जवानों के नाम पर स्कूल-कालेजों का नामकरण हो। इससे पूर्व उत्तर प्रदेश विधानमंडल के बजट सत्र की शुरुआत मंगलवार को विधानसभा में विपक्ष द्वारा कानून व्यवस्था तथा कुछ अन्य मुद्दों को लेकर जोरदार हंगामे के साथ हुई,परिणामस्वरूप प्रश्नकाल में व्यवधान उत्पन्न हुआ।
पूर्वाहन 11 बजे सदन की कार्यवाही शुरू होते ही समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी तथा कांग्रेस समेत विपक्षी सदस्यों ने प्रदेश में बढ़ते अपराधों के मुद्दे को जोर शोर से उठाते हुए हंगामा शुरु कर दिया और बैनर तथा पोस्टर लेकर सदन के बीचों बीच आ गए। सपा के सदस्यों ने झूठ-कपट की यह सरकार, नहीं चलेगी, किसान विरोधी यह सरकार, नहीं चलेगी , नारे लिखी तख्तियां लहरायीं।
वहीं कांग्रेस ने रायबरेली में हाल में पांच लोगों की हत्या के साथ-साथ प्रदेश में बलात्कार की बढ़ती घटनाओं एवं भ्रष्टाचार के मुद्दे उठाये। बसपा सदस्यों ने भी महिला उत्पीड़न के खिलाफ नारे लिखी तख्तियां लहराकर विरोध जताया। एक तख्ती पर सरकार पर अल्पसंख्यक विरोधी होने के आरोप वाला नारा भी लिखा था।
विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने शोरगुल कर रहे सदस्यों से कहा कि सदन में बैनर, तख्ती लाना मना है, क्या सदस्य सदन में दाखिल होने से पहले तलाशी लिये जाने की परम्परा शुरू करना चाहते हैं। हंगामा थमते ना देख सदन की कार्यवाही 10 मिनट के लिए स्थगित कर दी गई।
बाद में उसकी अवधि एक बार फिर 10 मिनट की लिये बढ़ा दी गयी। संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने कहा कि विपक्षी दलों की हरकतों की वजह से जनता ने चुनाव में उन्हें नकार दिया है। उनके पास कोई मुद्दा नहीं है। विपक्ष केवल मीडिया की सुर्खियां बटोरने के लिये ऐसा आचरण कर रहा है।