जम्मू कश्मीर में कारगिल युद्ध के दौरान अपनी जांबाजी दिखाने वाले एक सैनिक को युद्ध में दुश्मन के हैवी फायर का सामना करना पड़ गया था। आपको बता दे कि टाइगर हिल पर चढ़ाई करते समय पाक आर्मी हैवी फायर कर इंडियन आर्मी के जांबाज जवानों को निशाना बनाने का प्रयास कर रही थी लेकिन 18 ग्रेनेडियर की पलटून के जवान आगे बढ़ते चले गए। ऐसे में ग्रेनेडियर को एक गोली लगी लेकिन उनकी जान बच गई।
परमवीर चक्र विजेता सूबेदार जोगेंद्र सिंह यादव चंडीगढ़ में अपने स्कूल परिसर में पहुंचे तो उन्होंने कई अनुभव साझा किए। उन्होंने बताया कि मेरे बाजू, पैरों में 12 जगह गोलियां लगने के निशान हैं। एक दुश्मन सैनिक ने मुझ पर निशाना साधते हुए मेरे सीने पर भी गोली चलाई थी लेकिन गोली मुझे लगी नहीं क्योंकि वह मेरे पॉकेट में रखे पांच के सिक्कों से टकराकर लौट गयी थी ।
उन्होंने कहा कि ईश्वर ने मुझे जीवित रखा ताकि मैं शहीद हुए अपने साथी छह जवानों की बहादुरी की दास्तां सुना सकूं। भीषण युद्ध के बारे विस्तार से बताते हुए यादव ने कहा कि जब मैं जख्मी हालत में जमीन पर पड़ा था तब दुश्मनों ने मुझे मरा हुआ मान लिया था। मैं जिंदा हूं या नहीं यह पता लगाने के लिये उन्होंने मेरे ऊपर गोलियां भी चलायीं। लेकिन मैं उन्हें यकीन दिलाना चाहता था कि मैं जिंदा नहीं हूं।
यादव ने कहा जब उनका दूसरा दल आया तब मैंने एक ग्रेनेड लिया और उनके जवानों पर फेंक दिया, जिससे वे मारे गये। फिर मैंने उनकी राइफल लिया और गोलियां चलाने लगा जिससे उनके पांच अन्य जवान मारे गये।
उन्होंने बताया कि मैंने लुढ़कते हुए तीन-चार ओर से गोलियां चलायीं ताकि दुश्मन को यह लगे कि अतिरिक्त सैनिक (भारतीय सैनिकों का दल) आ गये हैं। अगर उन्हें पता चलता कि मैं अकेला हूं तो वो मुझे भी मार डालते।
उन्होंने बताया कि दुश्मन ने सोचा कि उन्होंने हमारे सभी सैनिकों को जब मार गिराया तब ये अतिरिक्त सैनिक आये। लेकिन पाकिस्तान का हौसला इतना पस्त हो चुका था कि उन्होंने उसी वक्त हार मान ली ।
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