झारखंड विधानसभा की कार्यवाही आज स्थानीयता की नीति और भूमि अधिग्रहण कानून को लेकर झारखंड मुक्ति मोर्चा के हंगामे के चलते दिन भर के लिए स्थगित कर दी गयी। इस दौरान सरकार केवल वर्तमान विथीय वर्ष की द्वितीय अनुपूरक बजट मांगें ही सदन में पेश कर सकी। झारखंड विधानसभा की कार्यवाही शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन आज जैसे ही प्रारंभ हुई मुख्य विपक्षी झारखंड मुक्ति मोर्चा के विधायक अध्यक्ष के आसन के समक्ष आकर स्थानीयता की नीति और भूमि अधिग्रहण कानून को वापस लेने की मांग करने लगे जिसके चलते हंगामा बढ़ता गया।
विधानसभाध्यक्ष दिनेश उरांव ने सदन की कार्यवाही दिन में साढ़े बारह बजे तक के लिए स्थगित कर दी। सदन की कार्यवाही एक बार फिर जब साढ़े बारह बजे प्रारंभ हुई तो झामुमो ने अपना हंगामा जारी रखा जिससे सदन की कार्यवाही नहीं चल सकी और विधानसभाध्यक्ष उरांव ने सदन की कार्यवाही पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी। राज्य की जनता से अपने इस कृत्य के लिए माफी मांगनी चाहिए।
झामुमो नेताओं ने इसे आदिवासी पंरपरा के अनुकल बताते हुए अपनी दोनों पुरानी मांगें उठा दीं और सदन में हंगामा करने लगे। सदन की कार्यवाही स्थगित होने के बाद भाजपा के नेता एवं मंत्री सीपी सिंह ने कहा कि विपक्ष के पास कोई मुद्दा नहीं है। लिहाजा वह बेवजह सदन की कार्यवाही में खलल डाल रहा है, लेकिन उसे पता होना चाहिए कि यह राज्य की जनता के हितों के खिलाफ है।
राज्य के खेल एवं युवा मामलों के मंत्री अमर कुमार बाउड़ आरोप लगाया कि विपक्ष सेट एजेंडे के साथ सदन में आया था और सदन की कार्यवाही के लिए वह तैयार ही नहीं थे और आज नेता विपक्ष हेमंत सोरेन यह कह कर सदन की तौहीन की कि सदन के भीतर उनके कुछ कहने का महत्व ही नहीं है क्योंकि सरकार उनकी नहीं सुनती है। सदन में हंगामे के बीच ही राज्य सरकार ने वर्तमान विथीय वर्ष का 2761 करोड़ रुपये की द्वितीय अनुपूरक बजट मांगें पेश कीं जिस पर चर्चा होने की संभावना है।
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