पटना : पटना उच्च न्यायालय ने भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के सेवानिवृत्त अधिकारी के.पी.रमैया की महादलित विकास मिशन का मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) के पद पर रहते हुये करोड़ रुपये के गबन में उनकी संलिप्तता के मामले में दायर अग्रिम जमानत याचिका आज खारिज कर दी।
न्यायमूर्ति राकेश कुमार ने यहां इस मामले में दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद श्री रमैया की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी। श्री रमैया की ओर से अदालत में उपस्थित हुये उनके अधिवक्ता ने कहा कि उनके मुवक्किल को गिरफ्तार किये जाने की आशंका है इसलिए उन्हें अग्रिम जमानत दी जानी चाहिए।
उन्होंने कहा कि पूर्व आईएएस अधिकारी प्रतिष्ठित नागरिक हैं और यदि उन्हें जमानत दी गई तो वह जांच में सहयोग करेंगे। वहीं, अभियोजन पक्ष के वकील ने उनकी दलीलों का विरोध करते हुये कहा कि रिकॉर्ड बताते हैं कि महादलित युवाओं के प्रशिक्षण के नाम पर करोड़ रुपये के गबन मामले में श्री रमैया की संलिप्तता है।
अदालत ने श्री रमैया की अग्रिम जमानत याचिका खारिज करते हुये कहा कि वह कई बार पुलिस के समक्ष पूछताछ के लिए उपस्थित हुये और बाद में उन्हें घर जाने दिया गया। इसलिए याचिकाकर्ता की यह आशंका कि उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाएगा, निराधार है।
याचिकाकर्ता श्री रमैया ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने से महज दो दिन पूर्व महादलित विकास मिशन के सीईओ पद पर रहते हुये इस मामले के अन्य अभियुक्तों के नाम करोड़ रुपये के दो चेक पर हस्ताक्षर किये थे। वह 21 जनवरी 2014 से 28 फरवरी 2014 तक महादलित विकास मिशन के सीईओ रहे थे।