अगले आम चुनाव से पहले राष्ट्रीय राजनीति में एक प्रमुख केंद्र के तौर पर देखी जा रहीं ममता बनर्जी अब देश में एकमात्र महिला मुख्यमंत्री रह गई हैं।
इस साल की शुरूआत में देश में तीन महिला मुख्यमंत्री थीं। लेकिन हालिया विधानसभा चुनाव के बाद ममता बनर्जी एकमात्र महिला मुख्यमंत्री रह गईं।
राजस्थान विधानसभा चुनाव में वसुंधरा राजे सरकार सत्ता गंवा बैठी वहीं सहयोगी भाजपा के सरकार से समर्थन वापस लेने के बाद जून में जम्मू कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने पद से इस्तीफा दे दिया था।
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1998 से 2013 तक दिल्ली की मुख्यमंत्री रह चुकीं शीला दीक्षित ने कहा, ‘‘मेरे सहित सभी महिला मुख्यमंत्री ने चुनाव जीता और फिर हार गईं। एक बार हार जाते हैं तो आपको हटना पड़ता है। मैं खुश हूं कि ममता बनर्जी बंगाल की मुख्यमंत्री और निसंदेह विपक्ष के हिस्सा के रूप में ऐसे समय हम सभी महिलाओं का प्रतिनिधित्व कर रही हैं जब आगामी चुनाव में वह एक भूमिका में होंगी।’’
ममता पश्चिम बंगाल की आठवीं मुख्यमंत्री हैं और वह 2011 से इस पद पर हैं। ममता अपने जोशीले भाषण और राजनीतिक कुशाग्रता के लिए मशहूर हैं।
राज्यसभा में तृणमूल कांग्रेस के संसदीय दल के नेता डेरेक ओ ब्रायन ने ममता बनर्जी की उपलब्धियां गिनाते हुये कहा, ‘‘उन्होंने ऐतिहासिक 26 दिनों की भूख हड़ताल सहित दशकों से लोगों के मुद्दों को लेकर संघर्ष किया है। वह सात बार सांसद रहीं, तीन बार कैबिनेट मंत्री बनीं और दो बार मुख्यमंत्री बनी। उनका साहस, प्रतिबद्धताएं और उपलब्धियां उनके प्रमाणपत्र हैं।’’
ममता बनर्जी के राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी भी उन्हें पहले एक नेता के तौर पर देखते हैं और उसके बाद एक महिला के रूप में। माकपा पोलित ब्यूरो की एकमात्र महिला सदस्य बृंदा करात ने कहा कि ममता के शासन के तरीके से महिलाओं को लाभ नहीं मिला है।