उत्तर कर्नाटक को अलग राज्य बनाने को लेकर उठी मांग धीमी पड़ती जा रही है। जिसके चलते आज कई संगठनों ने बंद बुलाया है। राज्य के बीजेपी अध्यक्ष बीएस येदियुरप्पा मंगलवार को मुंबई-कर्नाटक क्षेत्र में बेलगाम गए और उन्होंने कार्यकर्ताओं को अलग राज्य की मांग छोड़ने का अनुरोध किया। उन्होंने मौजूदा स्थिति के लिए कुमारस्वामी सरकार को दोषी ठहराया और उत्तर में दो प्रमुख क्षेत्रों – मुंबई-कर्नाटक और हैदराबाद-कर्नाटक के पूरे दौर के विकास की मांग की। बंद का असर उत्तरी कर्नाटक के 13 जिलों में पड़ सकता है। ये मांग पिछले काफी समय से उठाई जा रही है।
इस बीच राज्य के मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने बुधवार को इस मामले पर कहा कि ये बंद बीजेपी प्रायोजित है, इसका कोई असर नहीं पड़ेगा। इस मांग को हाल ही में तेजी आई है, जिसके कारण बंद बुलाया गया है। वही इस मांग को लेकर कांग्रेस ने बीजेपी को ज़िम्मेदार ठहराया है। राज्य कांग्रेस अध्यक्ष दिनेश गुंडुराओ ने कहा कि ये बीजेपी की राज्य को बांट कर शासन करने की चाल थी। उन्होंने कहा, ‘बीजेपी बेताब है। वे लोकसभा चुनाव 2019 से पहले परेशानी में हैं। वे वोट पाने के लिए इसका इस्तेमाल कर रहे हैं। लेकिन इससे बीजेपी को खुद नुकसान होगा।”
उत्तरा कर्नाटक रायठा संघ ने उन नेताओं की आलोचना की है जिन्होंने मंगलवार को बेंगलुरु में कुमारस्वामी से मुलाकात की। एक न्यूज़ चेंनेल से बात करते हुए इसके अध्यक्ष बसवराजा करिगारा ने कहा कि वे बंद के साथ आगे बढ़ेंगे और गुरुवार को अलग जगह उत्तर कर्नाटक का ध्वज भी फहराएंगे। उन्होंने सभी 13 जिलों में बंद का समर्थन करने के लिए सभी दुकानों और शैक्षणिक संस्थानों को बंद करने के लिए कहा है। वो दोनों क्षेत्रों में सार्वजनिक परिवहन को भी बाधित करने की योजना बना रहे हैं। कुमारस्वामी ने एक बार फिर से आंदोलनकारियों को मांग छोड़ने का अनुरोध किया है।
उन्होंने कहा “ये राज्य को विभाजित करने के लिए बीजेपी की साजिश है। उनका पर्दाफाश हो गया है। इसके कारण वे अब हमें दोषी ठहरा रहे हैं। वोटों के लिए ऐसे ड्रामे कभी सफल नहीं होंगे। ‘कुमारस्वामी ने लोगों की शिकायतों का समाधान करने के लिए बेंगलुरु से उत्तर कर्नाटक के कई महत्वपूर्ण सरकारी कार्यालयों को स्थानांतरित करने का भी फैसला लिया है। बीजेपी ने अपने नेताओं से कहा है कि वे बंद का समर्थन न करें। बीजेपी ने कहा कि वो उन लोगों के साथ है जो वास्तव में महसूस करते हैं कि उनके क्षेत्रों को नजरअंदाज कर दिया गया है और उन लोगों के साथ नहीं जो राज्य को विभाजित करना चाहते हैं।