अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान मुस्लिम और हिंदू पक्ष की ओर से पेश वकीलों के बीच तीखी बहस हुई। बता दे कि इस मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच ने की। सुनवाई पूरी होने के बाद चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा कि दोनों पक्षकारों की दलील सुनने के बाद यह फैसला लिया जाएगा कि इस मामले को पांच जजों वाली संवैधानिक बेंच के पास भेजी जाए या नहीं। मामले की अगली सुनवाई 27 अप्रैल को होगी।
आपको बता दे कि मुस्लिम पक्ष की तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन ने सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया कि अयोध्या भूमि विवाद मामले को संवैधानिक पीठ को सौंपा जाए।
धवन ने सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अयोध्या भूमि विवाद मुसलमानों के बीच बहुविवाह से भी ज्यादा महत्वपूर्ण है और राष्ट्र उस पर जवाब चाहता है।
धवन ने कहा कि 1994 में लिए गए पूरे फैसले या उसके कुछ हिस्सों को संवैधानिक बेंच के पास भेजा जा सकता है क्योंकि वो फैसला आस्था के अधिकार को कम करता है। उन्होंने कहा कि अगर एक मस्जिद बनती है तो फिर उसे तोड़ा नहीं जा सकता, वो अल्लाह का हो जाता है। बाबरी मस्जिद को 1528 में बनाया गया था और ये मुस्लिमों के काफी आस्था का विषय है।
2010 में इलाहाबाद कोर्ट की तीन जजों की बेंच ने 2:1 तके बहुमत पर ये आदेश दिया था कि अयोध्या भूमि को सुन्नी वक्फ़ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला में बांट दिया जाए।
इससे पहले 14 मार्च को हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट राम जन्मभूमि को लेकर दायर 32 नई याचिकाओं को खारिज कर दिया था। कोर्ट ने साफ-साफ कहा था कि इस मामले को लेकर अब कोर्ट कोई नई याचिका स्वीकार नहीं करेगा। बीजेपी के फायर ब्रांड नेता सुब्रमण्यम स्वामी की भी याचिका को कोर्ट ने खारिज कर दिया था।
सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की बेंच में चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस अब्दुल नजीर शामिल हैं। पिछली सुनवाई में उन्होंने मामले के सभी पक्षकारों से कहा था कि उनके पास जो भी दस्तावेज हैं, वे उसका इंग्लिश ट्रांसलेशन लेकर कोर्ट आएं।
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