लोकसभा चुनाव 2024

पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

चौथा चरण - 13 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

96 सीट

पांचवां चरण - 20 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

49 सीट

छठा चरण - 25 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

सातवां चरण - 1 जून

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

लोकसभा चुनाव पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

अयोध्या मामले : मुस्लिम पक्षकार पर मामला लटकाने का लगाया आरोप

हाईकोर्ट ने फैसला लेने से पहले 533 साक्ष्यों, 87 गवाहों के बयान, 13999 पन्नों केदस्तावेजों केअलावा विभिन्न भाषाओं के करीब 1000 पुस्तकों पर गौर किया था।

 UP : उत्तर प्रदेश  सरकार ने शुक्रवार को मुस्लिम पक्ष पर अयोध्या राम जन्मभूमि मालिकाना हक मामले की अपीलों की सुनवाई लटकाने का आरोप लगाया। प्रदेश सरकार की ओर से पेश एडीशनल सालिसिटर जनरल (एएसजी) तुषार मेहता ने 1994 के इस्माइल फारुखी फैसले में मस्जिद को इस्लाम का अभिन्न हिस्सा न मानने के अंश को पुनर्विचार के लिए संविधान पीठ को भेजने की मुस्लिम पक्ष की मांग का विरोध किया। यूपी सरकार की ओर से पेश एडशिनल सॉलिसिटर जनरल(एएसजी) तुषार मेहता ने कहा कि करीब एक सदी से इस विवाद के अंतिम रूप से निपटारे का इंतजार हो रहा है। उन्होंने कहा कि शीर्ष अदालत ने उक्त टिप्पणी वर्ष 1994 में की थी लेकिन अब तक इसे लेकर कोई याचिका दायर की गई और न ही मौजूदा दायर अपील में की गई।

उन्होंने कहा कि राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला आने के बाद वर्ष 2010 में सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की गई है। यहां तक कि इस मामले में प्लीडिग (कागजी कार्रवाई)पूरी होने तक इस मुद्दे को नहीं उठाया गया। मालूम हो कि प्लीडिग करीब दो महीने पहले पूरी हुई थी।

एएसजी ने कहा कि अब जाकर इस मुद्दे को उठाया जा रहा है। अब कहा जा रहा है कि पहले इस टिप्पणी पर पुनर्विचार करने की दरकार है और इस मसले को बड़ी पीठ के पास विचार करने केलिए भेजा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि ऐसा करना मामले को विलंब करने का प्रयास है। साथ ही एएसजी ने कहा कि मुस्लिम पक्षकारों का यह कहना कि 1994 के फैसले में की गई टिप्पणी के आधार पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अयोध्या मामले में फैसला दिया था, यह गलत है। उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट ने फैसला लेने से पहले 533 साक्ष्यों, 87 गवाहों के बयान, 13999 पन्नों केदस्तावेजों केअलावा विभिन्न भाषाओं के करीब 1000 पुस्तकों पर गौर किया था।

इससे पहले मुस्लिम पक्षकारों की ओर से पेश वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने कहा कि शीर्ष अदालत द्वारा यह टिप्पणी करना गलत है कि मस्जिद इस्लाम धर्म का अभिन्न अंग है। उन्होंने कहा कि इस्लाम कहता है कि मस्जिद उसकेधर्म का अहम अंग है। लिहाजा बड़ी पीठ को इस टिप्पणी पर विचार करना चाहिए। उन्होंने इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा 2.77 एकड़ विवादित जगह को तीन हिस्से में बांटने को फैसले को पंचायत केफैसले से तुलना की।

सुनवाई केदौरान पीठ ने कहा कि फिलहाल वह यह तय करेगा कि 1994 के फैसले में की गई इस टिप्पणी पर बड़ी पीठ के पास पुनर्विचार के लिए भेजा जाना चाहिए या नहीं। पीठ ने कहा कि वह यह नहीं तय कर रही है कि वह टिप्पणी गलत है या नहीं? अगली सुनवाई 13 जुलाई को होगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

seventeen − 15 =

पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।