सुप्रीम कोर्ट ने यूपी के पूर्व मुख्यमंत्रियों के आवासों को लेकर बड़ा फैसला लिया है। लोकप्रहरी नाम के एनजीओ की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्रियों को बड़ा झटका दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि उत्तर प्रदेश के सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों तो सरकारी बंगला खाली करना होगा। यूपी में अभी मुलायम सिंह यादव, मायावती, अखिलेश यादव, कल्याण सिंह, राजनाथ सिंह और एनडी तिवारी के पास लखनऊ में सरकारी बंगला है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि ये किसी एक राज्य का मामला नहीं बल्कि पूरे देश का मामला है। दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी निवास दिए जाने के प्रावधान पर सुनवाई की थी। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले के लिए वरिष्ठ वकील गोपाल सुब्रमण्यम को अमाइक्स क्यूरी (न्याया मित्र) नियुक्त किया था। जिन्होंने पूर्व राष्ट्रपतियों और पूर्व प्रधानमंत्रियों को सरकारी बंगला देने को गलत बताया था। सुप्रीम कोर्ट इस मामले में राज्यों और एटॉर्नी जनरल से पक्ष रखने को कहा चुकी है। साल 2016 के अगस्त महीने में सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार के उस आदेश को खारिज कर दिया था। जिसमें पूर्व मुख्यमंत्रियों को जीवन भर मुफ्त सरकारी आवास देने की व्यवस्था की गई थी।
बता दें कि एनजीओ लोक प्रहरी ने 1997 सरकारी आदेश को चुनौती दी थी। एनजीओ ने अपनी याचिका में उत्तर प्रदेश मिनिस्टर्स सैलरीज़, अलाउंस एंड अदर फैसिलिटीज एक्ट 1981 का हवाला दिया गया था। इस एक्ट के सेक्शन 4 में कहा गया है कि मंत्री और मुख्यमंत्री, पद पर रहते हुए एक निशुल्क सरकारी आवास के हकदार हैं, लेकिन जैसे ही वह पद छोड़ेंगे 15 दिन के भीतर उन्हें सरकारी मकान खाली करना होगा।
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