नई दिल्ली : पाकिस्तान और चीन के साथ सीमापर तनाव के बीच एक चिंताजनक रिपोर्ट सामने आई है। सरकारी खातों का ऑडिट करने वाली संस्था कंट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल (सीएजी) ने शुक्रवार को संसद में पेश अपनी रिपोर्ट में कहा है कि टकराव की स्थिति में सेना के पास 10 दिन का गोला-बारूद भी नहीं है। गौरतलब है कि 1999 में आर्मी नै तय किया था कि कम से कम 20 दिन की अवधि का गोला-बारूद रिजर्व होना चाहिए।
सीएजी की रिपोर्ट में कहा गया है कि आर्मी हेडक्वार्टर की तरफ से 2009 से 2013 के बीच खरीदारी के जिन मामलों की शुरुआत की थी उनमें से अधिकतर 2017 तक लंबित पड़े रहे। गोला बारूद की गुणवत्ता पर भी ध्यान दिलाया गया था लेकिन इस मामले में भी कोई खास ध्यान नहीं दिया गया।
सितंबर 2016 में पाया गया कि सिर्फ 20 फीसदी गोला-बारूद ही 40 दिन के मानक पर खरे उतरे। 55 फीसदी गोला बारूद 20 दिन के न्यूनतम स्तर से भी कम थे। हालांकि इसमें बेहतरी आई है, लेकिन बेहतर फायर पावर को बनाए रखने के लिए बख्तरबंद वाहन और उच्च क्षमता वाले गोला-बारूद जरूरी लेवल से कम पाए गए।
रिपोर्ट में कहा गया है कि उत्तरी कमान में तत्काल जरूरतों को पूरा करने के लिए सेना कमांडर विशेष वित्तीय शक्तियों के जरिए खरीद की गई 1.26 करोड़ की लागत वाली आउटबोर्ड मोटर्स का उपयोग नहीं किया जा सका। 50 ओबीएम में से 46 का इस्तेमाल सात सालों में 10 घंटे से कम के लिए किया गया है।
कैग ने बताया है कि नौसेना को सुपुर्द चार युद्घक पोतों में जरूरी अस्त्र आैर सेंसर प्रणाली नहीं लगार्इ गर्इ है। इसके चलते वे अपनी पूरी क्षमता से प्रदर्शन नहीं कर पा रहे हैं। वहीं नौसेना डिजाइन निदेशालय की भी वाहक पोत की डिजाइन को अंतिम रूप देने में विलंब के लिए आलोचना की है। हालांकि सेना की रक्षा जरूरतों के लिहाज से 2019 की पहले तीन महीनों में रूस आैर इजरायल से राॅकेट, एंटी टैंक गाइडेड मिसाइलें आैर अन्य महत्वपूर्ण हथियार मिलेंगे। वहीं 2019 से 2022 के बीच फ्रांस से 36 राफेल लड़ाकू विमान आैर भी मिलेंगे। वहीं 22 अपाचे आैर 15 चिनूक हेलिकाॅप्टर भी जुलार्इ 2019 में अमरीका से मिलेंगे।