मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) ओ. पी. रावत ने कहा कि यदि लोकसभा चुनाव समय से पहले कराने का फैसला किया जाता है तो चुनाव आयोग लोकसभा और चार राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ दिसंबर में कराने में सक्षम है।
ओ.पी. रावत ने यह टिप्पणी उस वक्त की जब उनसे पूछा गया कि यदि दिसंबर में लोकसभा चुनाव और मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, मिजोरम एवं राजस्थान के विधानसभा चुनाव एक साथ कराने का फैसला किया गया तो क्या चुनाव आयोग इसके लिए तैयार है। हालांकि, रावत ने जोर देकर कहा कि लोकसभा चुनाव समय से पहले कराने का सवाल “काल्पनिक और पूरी तरह अटकलबाजी है, क्योंकि सदन का कार्यकाल अगले छह महीने में पूरा नहीं होने जा रहा।”
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उन्होंने यह भी कहा कि राज्यों के चुनाव 15 दिसंबर से पहले कराने होंगे और चुनाव आयोग को अक्टूबर एवं नवंबर में मिलने वाली पेपर ट्रेल मशीनों (वीवीपीएटी) का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता और इससे “गंभीर बाधाएं” पैदा होंगी। गौरतलब है कि मिजोरम विधानसभा का कार्यकाल 15 दिसंबर को समाप्त हो रहा है।
छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश और राजस्थान विधानसभाओं का कार्यकाल क्रमश: पांच जनवरी 2019, सात जनवरी और 20 जनवरी 2019 को समाप्त हो रहा है। कुछ हलकों में ऐसी अटकलें हैं कि अप्रैल-मई 2019 में प्रस्तावित लोकसभा चुनाव को खिसका कर नवंबर-दिसम्बर 2018 में मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, मिजोरम और राजस्थान विधानसभा चुनाव के साथ कराया जा सकता है।
यह पूछे जाने पर कि क्या जरूरी ईवीएम और मतदान की पर्ची देने वाली मशीनें (वीवीपैट) तैयार रहेंगी, यदि लोकसभा चुनाव इन चार विधानसभा चुनाव के साथ दिसंबर में कराये जाएं, सीईसी ने कहा कि सभी जरूरी ईवीएम सितंबर अंत तक तैयार हो जाएंगी जबकि वीवीपैट मशीन नवंबर के अंत तक आ जाएंगी।
उन्होंने कहा कि 17.5 लाख वीवीपैट मशीनों में से 16 लाख नवंबर से पहले तैयार हो जाएंगी। बाकी 1.5 लाख वीवीपैट मशीनों की आपूर्ति नवंबर के अंत तक होंगी। उन्होंने कहा, “जैसा कि आपने जानना चाहा था कि यदि लोकसभा चुनाव दिसम्बर में होते हैं तब 1.5 लाख वीवीपैट मशीनों (जो कि आयोग को नवम्बर के अंत में मिलेंगी) की पहले स्तर की जांच मुश्किल होगी…तब कुछ छोटी दिक्कतें रह जा सकती हैं।”