केन्द्र ने आज उच्चतम न्यायालय से कहा कि राष्ट्रीय जांच एजेन्सी तर्कवादी एम एम कलबुर्गी हत्याकांड की जांच नहीं कर सकती क्योंकि यह राष्ट्रीय और अंतर्राज्यीय आतंकवाद के मामलों की जांच करने वाली विशेष एजेन्सी है। कलबुर्गी की कर्नाटक के धारवाड़ में2015 में गोली मार कर हत्या कर दी गई थी।
प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए. एम. खानविलकर और न्यायमूर्ति धनन्जय वाई. चन्द्रचूड की तीन सदस्यीय खंडपीठ के समक्ष केन्द्र ने इस सनसनीखेज हत्याकांड की विशेष जांच दल से जांच के लिये दिवंगत विद्वान और तर्कवादी कलबुर्गी की विधवा उमा देवी कलबुर्गी की याचिका पर सुनवाई के दौरान यह तर्क दिया।
केन्द्र की ओर से अतिरिक्त् सालिसीटर जनरल पिंकी आनंद ने राष्ट्रीय जांच एजेन्सी कानून का हवाला दिया और कहा कि यह अपराध कानून के तहत सूचीबद्ध अपराध की श्रेणी में आता है और इसलिए जांच एजेन्सी इसकी जांच नहीं कर सकती ।
पीठ ने अतिरिक्त सालिसीटर जनरल के इस कथन पर विचार किया और याचिका जुलाई के प्रथम सप्ताह में सूचीबद्ध करने का आदेश दिया। पीठ ने इस बीच, केन्द्रीय जांच ब्यूरो और महाराष्ट्र तथा कर्नाटक सरकार को अपने जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।
हंपी विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति और शिक्षाविद 77 वर्षीय कलबुर्गी की धारवाड में उनके घर में ही 30 अगस्त, 2015 को गोली मार कर हत्या कर दी गई थी।
शीर्ष अदालत ने10 जनवरी को राष्ट्रीय जांच एजेन्सी और सीबीआई तथा दो राज्य सरकारों से उमा देवी के इन आरोपों पर जवाब मांगा था कि इस हत्याकांड की जांच में अभी तक कोई विशेष प्रगति नहीं हुई है।
देश की हर छोटी-बड़ी खबर जानने के लिए पढ़े पंजाब केसरी अख़बार।