मुंबई : मौद्रिक नीति समीक्षा के लिये रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल की अध्यक्षता वाली छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की तीन दिवसीय बैठक सोमवार को यहां शुरू हो गई। माना जा रहा है कि केंद्रीय बैंक नीतिगत दर को यथावत रख सकता है। विशेषज्ञों की राय है कि आर्थिक वृद्धि दर के अपेक्षाकृत कम रहने तथा मुद्रास्फीति के नरम पड़ने के बावजूद आरबीआई मानक ब्याज दर (रेपो) में कोई बदलाव नहीं करेगा। पिछली द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में आरबीआई ने रेपो दर को 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा।
केंद्रीय बैंक ने चेतावनी देते हुए कहा था कि तेल के दाम में उतार-चढ़ाव तथा वैश्विक वित्तीय स्थिति कड़ी होने से वृद्धि तथा मुद्रास्फीति के समक्ष अधिक जोखिम है। एमपीसी की बैठक पांच दिसंबर तक चलेगी। एमपीसी का निर्णय आरबीआई की वेबसाइट पर पांच दिसंबर दोपहर में डाला जाएगा। पिछली मौद्रिक नीति की घोषणा के बाद अमेरिकी डालर के मुकाबले रुपया मजबूत हुआ है और 70 के महत्वपूर्ण स्तर से नीचे आ गया है।
वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल के भाव भी नरम हुए और 86 डालर प्रति बैरल से नीचे 60 डालर प्रति बैरल पर आ गये हैं। हालांकि, आर्थिक वृद्धि दर सितंबर तिमाही में नरम होकर 7.1 प्रतिशत रही। इससे पूर्व पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में यह दो साल के उच्च स्तर 8.2 प्रतिशत पर पहुंच गयी थी। फल, सब्जी और अंडा, मछली जैसे प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थों के सस्ता होने से खुदरा मुद्रास्फीति भी अक्तूबर महीने में 3.31 प्रतिशत रही जो एक महीने का न्यूनतम स्तर है।
आरबीआई के नीतिगत दर में यथास्थिति बनाये रखने की उम्मीद
वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में नरमी और कृषि उत्पादन अधिक रहने के बीच उम्मीद लगाई जा रही है कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) आगामी मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक में नीतिगत दर में बदलाव नहीं करेगा और यथास्थिति बनाये रखेगा। एक रिपोर्ट में यह बात कही गयी है। आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति की बैठक अगले महीने होनी है। डन एंड ब्रैडस्ट्रीट इकोनॉमी ने अपने पूर्वानुमान में कहा कि कृषि उत्पादन में मजबूती और सब्जी एवं फलों की कीमतों में नरमी से खाद्य मुद्रास्फीति को दायरे में रखने में मदद मिलेगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार की नयी खरीद नीति से आने वाले समय में कृषि उपज की कीमतों को समर्थन मिलेगा।
फर्म को इस वर्ष नवंबर में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति के 2.8 से 3 प्रतिशत और थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति के 4.8 से 5 प्रतिशत के दायर में रहने की उम्मीद है। डन एंड ब्रैडस्ट्रीट इंडिया के प्रमुख अर्थशास्त्री अरुण सिंह ने कहा, कच्चे तेल की कीमतों से उत्पन्न होने वाले जोखिम में काफी हद तक कमी आई है क्योंकि निकट भविष्य में कीमतों में कमी या सुस्त बने रहने की संभावना है। इसने आंशिक रूप से भारत के चालू खाते के घाटे, राजकोषीय फिसलन और मुद्रास्फीति जोखिम से जुड़ी चिंताओं को कम करने में मदद की है।
सिंह ने कहा कि विदेशी निवेशकों की भारतीय बाजार में वापसी, रुपये की विनिमय दर में स्थिरता, औद्योगिक उत्पादन में मजबूती और मुद्रास्फीति में नरमी से आर्थिक वृद्धि में सुधार को समर्थन मिला है। हालांकि, सिंह ने कहा कि बैंकिंग प्रणाली के फंसे कर्ज में लगातार वृद्धि हो रही है और गैर-बैंकिंग क्षेत्र में नियमों को कड़ा करने की संभावना से वित्तीय प्रणाली में कुछ व्यवधान पैदा हो सकते हैं। सिंह ने कहा, हमारा अनुमान है कि भारतीय रिजर्व बैंक अगली मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक में नीतिगत दर में परिवर्तन नहीं करेगा। इस समय रेपो दर 6.50 प्रतिशत पर है। गत पांच अक्टूबर को हुई समीक्षा बैठक में इसमें कोई बदलाव नहीं किया गया। जीडीपी वृद्धि का अनुमान भी 7.4 प्रतिशत पर पूर्ववत रखा गया है।