नयी दिल्ली : आप विधायकों के बारे में दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले का स्वागत करने के बावजूद कांग्रेस ने आज मांग की कि आप के 20 विधायकों तथा भाजपा नीत मणिपुर सरकार के ऐसे ही 12 विधायकों को नैतिकता के आधार पर इस्तीफा देना चाहिए। आम आदमी पार्टी (आप) को बड़ी राहत देते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय ने लाभ के पद मामले में उसके 20 विधायकों की अयोग्यता आज रद्द कर दी। साथ ही अदालत ने चुनाव आयोग को मामले पर नये सिरे से सुनवाई करने का निर्देश दिया। कांग्रेस की प्रवक्ता सुष्मिता देव ने संवाददाताओं से कहा कि हम इस संबंध में दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले का स्वागत करते हैं जो प्राकृतिक न्याय के अनुरूप है। उन्होंने यह भी कहा कि इस मामले में दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार और मणिपुर में भाजपा सरकार ‘एक ही सिक्के के दो पहलु हैं।’
उन्होंने कहा कि जिस प्रकार तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने लाभ के पद का विवाद उत्पन्न होने पर अपनी संसद सदस्यता से त्यागपत्र देकर फिर से चुनाव लड़ा था, उसी प्रकार आप के इन 20 विधायकों को इस्तीफा देकर चुनाव लड़ना चाहिए। सुष्मिता ने कहा कि मणिपुर में भाजपा नीत सरकार ने भी इसी तरह संवैधानिक प्रावधानों एवं कानून का घोर उल्लंघन करते हुए 12 संसदीय सचिव बना रखे हैं। इनमें से आठ भाजपा, तीन एनपीएफ और एक निर्दलीय विधायक है। कांग्रेस नेता ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने 26 जुलाई 2017 में बिमलांगशु राय बनाम असम राज्य मामले में दिये गये फैसले में कहा कि इस तरह के कानून बनाने वाले व्यक्तियों को संसदीय सचिव बनाना विधायी दक्षता के विरूद्ध होगा परिणामस्वरूप इस प्रकार का पद रखने वाले व्यक्ति को अयोग्य घोषित किया जाना चाहिए। सुष्मिता ने कहा कि इसके बावजूद मणिपुर में 12 विधायक संसदीय सचिव बने हुए हैं।
उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा ने मणिपुर में राजनीतिक अवसरवाद एवं कानून का उल्लंघन करते हुए सरकार बनाने के लिए पेश किये गये दावे में जिन विधायकों का नाम रखा, उनमें एक कांग्रेस का विधायक टी एच श्याम कुमार भी थे। उन्होंने कहा कि बाद में इस विधायक को राज्य मंत्री मंडल में मंत्री बनाकर पुरस्कृत किया गया। सुष्मिता के साथ मौजूद मणिपुर के पूर्व उप मुख्यमंत्री गाइखानखम ने संवाददाताओं को बताया कि कांग्रेस ने इस विधायक की सदस्यता को दल बदल कानून के तहत रद्द करने के बारे में राज्य विधानसभा के अध्यक्ष एवं राज्यपाल से मांग की थी जिस पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गयी। इस बीच कांग्रेस की दिल्ली इकाई के अध्यक्ष अजय माकन ने उच्च न्यायालय के इस फैसले पर ट्वीट कर कहा, ‘‘हम इसे चुनाव आयोग में फिर से निबटेंगे क्योंकि इन 20 विधायकों ने भत्तों को लिया था। उच्च न्यायालय ने इससे इंकार या विरोध नहीं किया है। उच्च न्यायालय ने भारतीय निर्वाचन आयोग से महज यह कहा है कि प्राकृतिक न्याय की रोशनी में इसे फिर से देखा जाए।’’
हमारी मुख्य खबरों के लिए यह क्लिक करे।