रायपुर : राज्यों के विधानसभा चुनाव में लगातार हार के बाद निराश कांग्रेस कार्यकर्ताओं को राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी के दौरे से संजीवनी मिली है। इधर राहुल ने सरकार के खिलाफ तीखे तेवर दिखाने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी वहीं संघर्ष के लिए कार्यकर्ताओं का हौसला भी बढ़ाया। प्रदेश के चार संभागों में लगातार चार बड़े आयोजन कर कांग्रेस ने एक तरह से चुनावी शंखनाद कर दिया। वहीं प्रदेश में संभावनाओं को लेकर भी राहुल आश्वस्त ही नजर आ रहे हैं। राहुल के दौरे में कांग्रेस ने एक तीर से कई निशाने लगाने की कोशिशें की है।
इनमें प्रदेश में खस्ताहाल हो चुके किसानों को कांग्रेस के जरिए उम्मीद की रोशनी दिखाने की कोशिशें हुई है। दूसरी ओर जंगल सत्याग्रह के जरिए लाखों आदिवासियों को जुटाकर भी ताकत दिखाने में कसर बाकी नहीं छोड़ी। राहुल की मौजूदगी में कोटमी के जंगल सत्याग्रह के अहम राजनीतिक मायने तलाशे जा रहे हैं। कोटमी में अपेक्षा से अधिक भीड़ जुटाकर कांग्रेस ने विरोधी दलों को भी सतर्क कर दिया है। राहुल के मंच में स्थानीय आदिवासी समाज के मसीहा माने जाने वाले गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के अध्यक्ष हीरासिंह मरकाम और एकता परिषद के राजगोपाल की मौजूदगी के भी कई सियासी मायने हैं। वनांचल क्षेत्रों में आदिवासी हितों के लिए काम करने वाले संगठनों ने भी राहुल की सभा में मौजूदगी देकर समर्थन दिया।
भी आदिवासी वोट बैंक के लिहाज से अहम माना जा रहा है। दरअसल, प्रदेश में विशेष तौर पर बिलासपुर संभाग के इलाके में आदिवासियों की जमीन से बेदखली और उद्यागपतियों को उपकृत करने के साथ वन अधिकार कानून और पेशा कानून के उल्लंघन से आक्रोश नजर आ रहा है। कांग्रेस ने इस आक्रोश के साथ खड़े होकर राजनीतिक तौर पर बड़ा दांव खेला है। इधर राहुल ने संगठनात्मक स्तर पर 44 सीटों के प्रशिक्षित बूथ स्तरीय कार्यकर्ताओं से सीधी चर्चा कर टोह ली है।
अन्य विशेष खबरों के लिए पढ़िये की पंजाब केसरी अन्य रिपोर्ट