नई दिल्ली : भारत सरकार ने केन्द्रीय कर्मचारियों को बड़ा तोहफा देते हुए सातवें वेतन आयोग के भत्तों को कुछ सुधारों के साथ मंजूरी प्रदान कर दी। सरकार ने इसे 2016 में जनवरी से लागू करने के निर्णय को मंजूरी दी थी। भत्तों में बदलाव की मांग को लेकर कर्मी अड़ गए थे। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने केबिनेट की बैठक के बाद यह घोषणा की। भत्तों में बदलाव संबंधी सुझाव को स्वीकार किया गया है और ये 1 जुलाई 2017 से लागू होंगे। सरकार के इस फैसले से 50 लाख केंद्रीय कर्मचारियों और रक्षाबलों के कर्मचारियों को लाभ मिलेगा। सरकार ने आज बुधवार को सातवें वेतन आयोग के तहत हाउस रेंट अलाउंस समेत कई भत्तों में बढ़ोतरी के फैसले को मंजूरी प्रदान कर दी। नया एचआरए शहर की श्रेणी के हिसाब से 24 प्रतिशत, 16 प्रतिशत और 8 प्रतिशत होगा। अब यह एचआरए 5400, 3600 और 1800 रुपए से कम नहीं होगा।
सरकार के इस फैसले के तहत भत्तों में हुई बढ़ोतरी की वजह से सरकार पर प्रतिवर्ष 30748 करोड़ का भार पड़ेगा। सैनिकों के लिए सियाचिन भत्ते में बढ़ोतरी कर इसे 14 हजार की बजाए 30 हजार रुपए प्रतिमाह किया गया है। अधिकारियों के लिए इसे 21 हजार से बढ़ाकर 42500 रुपए प्रतिमाह किया गया है। इसके अलावा पेंशनरों के लिए फिक्स मेडिकल अलाउंस को 500 से बढ़ाकर 1000 रुपए प्रतिमाह किया गया है जबकि 100 प्रतिशत निशक्तजन के लिए नियमित उपस्थिति भत्ता 4500 से बढ़ाकर 6750 कर दिया गया है। वहीं नर्सिंग अलाउंस को 4800 से बढ़ाकर 7200 रुपए कर दिया गया। इसके अलावा ऑपरेशन थिएटर अलाउंस प्रतिमाह 360 से बढ़ाकर 450 कर दिया गया। उन्होंने कहा कि सरकार ने सिद्धांत रूप से एयर इंडिया के निजीकरण संबंधी प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है। मकान किराये भत्ते को लेकर X,Y,Z श्रेणी के शहरों के बारे में आयोग ने बेसिक वेतन के हिसाब से 24 फीसदी, 16 और 8 फीसदी की सिफारिश की थी। जब महंगाई भत्ता 25 फीसदी तक पहुंचेगा तो यह 27, 18 और 9 फीसदी हो जाएगा।
जब महंगाई भत्ता 50 फीसदी होगा तो यह दर 30, 20 और 10 फीसदी हो जाएगी और निम्न श्रेणी के कर्मचारियों के लिए इस प्रतिशत के अलावा एक अलग श्रेणी भी तय होगी जो न्यूनतम एचआरए भत्ता तय करेगी। यह श्रेणी है -5400, 3600 और 1800 रुपये (यह न्यूनतम होगा) इसके बाद जो प्रतिशत ज्यादा बनाता है तो ज्यादा भत्ता होगा। बता दें कि सातवें वेतन आयोग से जुड़े अलाउंस के मुद्दे पर कर्मचारियों को सरकार से फैसले का इंतजार था। लिहाजा, आज की कैबिनेट बैठक में अलाउंस से जुड़े कैबिनेट नोट पर चर्चा पर सरकारी कर्मचारी उम्मीद लगाए बैठे थे। जानकारी के लिए बता दें कि पीएम नरेंद्र मोदी विदेश दौरे से मंगलवार रात में ही लौटे थे और इस वजह से बुधवार सुबह होने वाली बैठक को शाम पांच बजे के लिए निर्धारित किया गया था। पिछले कुछ हफ्तों से किसी न किसी वजह से सातवें वेतन आयोग से जुड़े अलाउंस के मुद्दे पर कैबिनेट की बैठक में चर्चा नहीं हो पा रही थी और इससे कर्मचारियों में इंतजार बढ़ता जा रहा था।
ऐसा कहा जा रहा था कि कभी वित्त मंत्री अरुण जेटली तो कभी वित्त मंत्रालय के अधिकारियों के दिल्ली में न रहने की वजह से इस मुद्दे को कैबिनेट की बैठक में नहीं रखा जा रहा था। कर्मचारी संघों के सूत्रों का कहना था कि सचिवों की अधिकार प्राप्त समिति ने इस मुद्दे पर चर्चा के बाद कैबिनेट नोट तो तैयार कर लिया था। बता दें कि केंद्रीय कर्मचारियों को अन्य अलाउंसेस के अलावा एचआरए के मुद्दे पर सरकार के फैसले का करीब एक साल से इंतजार था। उल्लेखनीय है कि पिछले साल 28 जून को ही सरकार ने सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने का फैसला लिया था। सरकार ने वेतन आयोग की सिफारिशें एक जनवरी 2016 से लागू करने का ऐलान किया था लेकिन वेतन आयोग की कई सिफारिशों के बाद केंद्रीय कर्मचारियों ने कई मुद्दों पर अपनी आपत्ति जताई थी। इन मुद्दों में अलाउंसेस को लेकर विवाद भी था।
सरकार ने इसके लिए एक समिति का गठन किया था, समिति ने अपनी रिपोर्ट 27 अप्रैल को वित्त मंत्री को सौंप दी थी। वित्त मंत्रालय की ओर से यह रिपोर्ट अधिकार प्राप्त सचिवों की समिति को भेजी गई थी। अब इस रिपोर्ट पर चर्चा के बाद 1 जून को सचिवों की अधिकार प्राप्त समिति ने एक कैबिनेट नोट तैयार किया था। जानकारी के लिए बता दें कि सातवें वेतन आयोग से पहले केंद्रीय कर्मचारी 196 किस्म के अलाउंसेस के हकदार थे लेकिन सातवें वेतन आयोग ने कई अलाउंसेस को समाप्त कर दिया या फिर उन्हें मिला दिया था। जिसके बाद केवल 55 अलाउंस बाकी रह गए थे, तमाम कर्मचारियों को कई अलाउंस समाप्त होने का मलाल था।
नरेंद्र मोदी सरकार ने 2016 में सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को मंजूरी दी थी और 1 जनवरी 2016 से 7वें वेतन आयोग की रिपोर्ट को लागू किया था लेकिन, भत्तों के साथ कई मुद्दों पर असहमति होने की वजह से यह सिफारिशें पूरी तरह से लागू नहीं हो पाईं। बता दें कि वेतन आयोग (पे कमीशन) ने अपनी रिपोर्ट में एचआरए को शुरू में 24 प्रतिशत, 16 प्रतिशत और 8 प्रतिशत तय किया था और कहा गया था कि जब डीए 50 प्रतिशत तक पहुंच जाएगा तो यह 27 प्रतिशत, 18 प्रतिशत और 9 प्रतिशत क्रमश: हो जाएगा, इतना ही नहीं वेतन आयोग (पे कमीशन) ने यह भी कहा था कि जब डीए 100 प्रतिशत हो जाएगा तब यह दर 30 प्रतिशत, 20 प्रतिशत और 10 प्रतिशत क्रमश: एक्स, वाई और जेड शहरों के लिए हो जाएगी।