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आरुषि हत्याकांड : न्यायालय ने तलवार दंपति को बरी करने के खिलाफ अपील को विचारार्थ स्वीकार किया 

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नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने साल 2008 के बहुचर्चित आरुषि-हेमराज हत्याकांड में दंत चिकित्सक दंपति राजेश और नूपुर तलवार को बरी करने के खिलाफ एक अपील को आज विचारार्थ स्वीकार कर लिया। यह याचिका हेमराज की पत्नी खुमकला बंजाडे ने दायर की है।
न्यायमूर्ति रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति आर भानुमति की पीठ ने विशेष अनुमति याचिका दायर करने की अनुमति दे दी और निचली अदालत से मामले के मूल केस रिकॉर्ड तलब किये।

 तलवार दंपति को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने पिछले साल अक्तूबर में दोहरे हत्याकांड में बरी कर दिया था। बंजाडे ने मामले में तलवार दंपति को बरी करने के खिलाफ पिछले साल 15 दिसंबर को अपील दायर की थी। बाद में सीबीआई ने भी मामले में उन्हें बरी करने के खिलाफ अपील दायर की थी। गत नौ फरवरी को सेवानिवृत्त विशेष सीबीआई न्यायाधीश श्याम लाल ने भी शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाकर उच्च न्यायालय के फैसले से कुछ टिप्पणियों को हटाने की मांग की थी। उन्होंने कहा था कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले में उनकी आलोचना करने वाली टिप्पणी ‘अपमानजनक’ और ‘गैर जरूरी’ थी। पिछले साल 12 अक्तूबर को उच्च न्यायालय ने दंपति को बरी कर दिया था।

अदालत ने कहा था कि उन्हें रिकॉर्ड में साक्ष्य के आधार पर दोषी नहीं ठहराया जा सकता। इससे पहले, उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले में सीबीआई की अदालत ने 26 नवंबर, 2013 को तलवार दंपति को अपनी बेटी आरूषि और घरेलू सहायक हेमराज की हत्या के सिलसिले में उम्र कैद की सजा सुनाई थी। अदालत द्वारा दोषी ठहराये जाने के बाद से यह दंपति गाजियाबाद स्थित डासना जेल में बंद था। उच्च न्यायालय के फैसले के बाद उसे जेल से रिहा कर दिया गया था। तलवार दंपति की 14 वर्षीय पुत्री आरूषि मई, 2008 में नोएडा स्थित अपने घर में संदिग्ध परिस्थितियों में मृत मिली थी। उसका गला रेता हुआ था। इसके दो दिन बाद ही घरेलू सहायक का शव भी इस दंपति के घर की छत पर मिला था। उत्तर प्रदेश पुलिस की जांच को लेकर उठे सवालों के बाद इस प्रकरण को केन्द्रीय जांच ब्यूरो को सौंप दिया गया था।

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