नयी दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने आज दिल्ली मेट्रो रेल निगम (डीएमआरसी) से कहा कि वह सभी मेट्रो स्टेशनों के निकास द्वार को मानवयुक्त करने पर विचार करे। गौरतलब है कि वहां से लोगों के लापता होने की कुछ घटनाओं को अदालत के ध्यान में लाया गया था। न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति एके पाठक की सदस्यता वाली एक पीठ ने कहा कि स्वचालित किराया वसूली (एएफसी) निकास द्वारों को मानवयुक्त करने के ऐसे उपाय मेट्रो प्रणाली सुरक्षा के लिहाज से भी जरूरी हैं। इसने डीएमआरसी और मेट्रो पुलिस से हलफनामा दाखिल करने को भी कहा जिसमें पिछले तीन साल का उन लोगों के बारे में डाटा हो, जो मेट्रो ट्रेन से सफर के दौरान लापता हो गए।
अदालत ने कहा कि दिल्ली मेट्रो को ऐसी घटनाओं (मेट्रो स्टेशनों से लोगों के लापता होने), सभी मेट्रो स्टेशनों पर एएफसी गेट को मानवयुक्त करने पर विचार करना चाहिए ताकि बच्चे या अशक्त लोग और बगैर टिकट वाले लोगों पर निकलते समय नजर रखी जा सके। पीठ ने कहा कि मेट्रो प्रणाली की सुरक्षा के मद्देनजर भी ऐसे उपाय जरूरी हैं। गौरतलब है कि अदालत को एक खबर में यह पता चला था कि 19 साल की एक मूक बधिर महिला अपने परिवार से बिछडऩे के बाद और गलत स्टेशन पर बाहर निकलने पर लापता हो गई। इस विषय में महिला का अब तक पता नहीं चल पाया है। पीठ ने इसकी जांच दिल्ली पुलिस की मानव तस्करी रोधी इकाई को हस्तांतरित कर दी है। केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) ने पीठ को बताया कि सीसीटीवी फुटेज के मुताबिक 19 वर्षीय महिला किसी और यात्री के पीछे – पीछे एएफसी गेट से बाहर निकल गई।
मेट्रो स्टेशनों की सुरक्षा की जिम्मेदारी सीआईएसएफ के पास है। इसने अदालत से कहा कि महिला अपनी तीसरी कोशिश में सफल रही और बगैर टिकट के बाहर निकलने में कामयाब रही। इस बीच, आज की सुनवाई के दौरान एक व्यक्ति की ओर से एक अर्जी देने का अनुरोध किया गया,जिनकी 17 वर्षीय मानसिक रूप से अशक्त बेटी साल भर पहले रिठाला स्टेशन से मेट्रो में सवार होने के बाद लापता हो गई थी। अदालत ने वकील से अर्जी दाखिल करने को कहा ताकि यह रिकार्ड में आ सके। इसने दिल्ली पुलिस को 19 वर्षीय महिला का पता लगाने में उसकी जांच के बारे में एक स्थिति रिपोर्ट भी दाखिल करने को कहा। बहरहाल, इसने मामले की सुनवाई 14 जुलाई के लिए तय कर दी।
(भाषा)