नई दिल्ली: उत्तरी दिल्ली नगर निगम के नेता विकास कार्य न होने के पीछे लगातार फंड न होने का रोना रोते हैं। चौथे वित्त आयोग की रिपोर्ट लागू करने की बात हो या दिल्ली सरकार से मिने वाली अनुदान राशि हो, निगम के नेता हर मौके पर दिल्ली सरकार को फंड न देने के लिए कोसते हैं। हैरानी की बात है कि उत्तरी दिल्ली नगर निगम का लगभग 1 हजार करोड़ रुपए दक्षिणी दिल्ली नगर निगम पर बकाया है, उसे वसूलने के लिए उत्तरी निगम की ओर से बीते छह सालों में महज दो बार नोटिस दिया गया है।
पार्टी फोरम पर प्रशासनिक कार्य
उत्तरी दिल्ली नगर निगम के स्थाई समिति अध्यक्ष तिलकराज कटारिया का कहना है कि वे दक्षिणी दिल्ली नगर निगम से किराया वसूलने के लिए पार्टी फोरम पर डिस्कशन कर रहे हैं। जल्द ही मामले का कोई हल निकाला जाएगा। मामले में उत्तरी दिल्ली नगर निगम में कांग्रेस के नेता मुकेश गोयल का कहना है कि अगर दक्षिणी निगम में कांग्रेस या आम आदमी पार्टी की सरकार होती तब भी क्या कटारिया जी अपनी पार्टी से पूछकर फैसला लेते। गौरतलब है 2015 और 2016 में उत्तरी निगम की ओर से दक्षिणी निगम को नोटिस जारी किए गए थे। एक बार दक्षिणी निगम के निगम आयुक्त के सचिव का कार्यालय भी सील किया गया था।
सदन में उठा था फंड का मामला
शुक्रवार को हुए उत्तरी निगम के सदन में नेता विपक्ष राकेश गुप्ता ने बीते सात महीनों से विकास कार्य न होने की बात कही थी। राकेश गुप्ता ने कहा था कि उत्तरी निगम में बीते सात महीनों से एक भी विकास कार्य नहीं हुआ है। न कोई नया टेंडर हुआ है और न ही अधिकारियों-कर्मचारियों को सैलरी दी जा रही है, जिसके जवाब में भाजपा पार्षदों ने विकास कार्यों के लिए फंड न होने की बात कही थी। भाजपा पार्षदों का कहना था कि दिल्ली सरकार न तो चौथे वित्त आयेाग की रिपोर्ट लागू कर रही है और न ही निगम को अनुदान राशि दे रही है। हालांकि, भाजपा पार्षदों के पास इस बात का कोई जवाब नहीं है कि आखिर प्रशासनिक मामले को पार्टी फोरम पर क्यों डिस्कस किया जा रहा है।
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– सज्जन चौधरी