नई दिल्ली : दिल्ली में केंद्रीय कर्मचारियों के लिए बांटे हुए सरकारी मकानों पर अब भी कब्जे बने हुए हैं केंद्रीय कर्मचारियों को सरकार ने सरकारी मकान बांटे थे जिसमे से 675 सरकारी मकानों पर अवैध कब्जे किए गए हैं इसमें से कर्मचारियों की मौत के बाद भी कब्जा बना हुआ है। जिन्हें महीनों एवं सालों भी हो चुके हैं ।
कुल 38 ऐसे मकानों पर अवैध कब्जा है जो वरिष्ठ सेक्सन अफसरों से लेकर संयुक्त सचिव स्तर तक के अधिकारियों को बांटे गए हैं।
शहरी विकास मंत्रालय ( Ministry of Urban development ) सूचना के अधिकार कानून के तहत दायर आवेदन के जवाब में बताया कि जिन 675 मकानों पर अवैध कब्जे हुए उनमें 555 मकान टाइप-1, 2 और 3 श्रेणियों के हैं और 120 मकान टाइप 4 श्रेणी हैं।
शहरी विकास मंत्रालय के अनुसार करीब इन मकानों पर कुछ महीनों से लेकर कई सालों से कब्जा बना हुआ है। कई मामलों में तो संबंधित आवंटी की मौत होने बाद भी मकानों पर कब्जा है।
संसद सदस्यों और सरकारी कर्मचारियों द्वारा सरकारी आवासों पर अवैध कब्जे पर अंकुश लगाने के मकसद से केंद्रीय कैबिनेट ने बीते बुधवार को सार्वजनिक परिसर (अवैध कब्जा हटाने संबंधी) कानून-1971 में बदलावों को मंजूरी दी है ताकि अधिकारी अवैध कब्जे को तीन दिनों के भीतर खाली करा सकें।
दिल्ली के एक कॉलेज के छात्र अनिकेत गौरव की ओर से दायर आवेदन के जवाब में मंत्रालय ने कहा कि कई वरिष्ठ नौकरशाहों ने मकानों पर गैरकानूनी कब्जा कर रखा है। इन मकानों में टाइप – 4S के 16 मकान और टाइप 5A के 11 तथा 5B श्रेणी के 7 मकान शामिल हैं।
शहरी विकास मंत्रालय ने बताया कि 6A टाइप के चार मकानों पर अवैध कब्जा है। ये मकान आमतौर पर संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारियों को आवंटित किए जाते हैं।