दिल्ली हार्इकोर्ट ने मंगलवार को पुलिस को उत्तरी दिल्ली के एक आध्यात्मिक विश्व विद्यालय का तत्काल जाँच करने का निर्देश दिया, जहां लड़कियों और महिलाओं को कथित रूप से बंधक बनाकर रखा गया है। अदालत की ओर से नियुक्त समिति ने बताया कि आश्रम में 100 से ज्यादा लड़कियों को बंधक बनाकर रखा गया है जिसमे से ज्यादातर नाबालिग बच्चियां थीं और उन्हें जानवरों की तरह रखा गया था।
अदालत ने वहां की स्थिति को हरियाणा के सिरसा में गुरमीत राम रहीम के आश्रम जैसा बताया। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और न्यायमूर्ति सी हरिशंकर की पीठ ने कहा कि यह बहुत ही खतरनाक बात है कि ईश्वर के बारे में उपदेश देने के नाम पर लड़कियों और महिलाओं को कथित रूप से बंधक बनाकर रखा गया है।
रोहिणी के पुलिस उपायुक्त रजनीश गुप्ता ने बताया कि जब वे जांच के लिए आश्रम गए तो आश्रम के कुछ कर्मचारियों ने उनके साथ मारपीट की और करीब एक घंटे तक उन्हें बंधक बनाए रखा। जांच दल के अनुसार आश्रम में बच्चियों को जानवरों की तरह रखा गया था। उन्हें लोहे की सलाखों के पीछे रखा गया था और वह कांटेदार बाड़े से घिरी हुई थीं। यहां तक कि बच्चियों के नहाने के दौरान भी कोई निजता प्राप्त नहीं थी।
दिल्ली हाई कोर्ट आश्रम की तत्काल जांच के आदेश के बाद लड़कियों और महिलाओं को कथित रुप से बंधक बनाकर रखने के मामला को हरियाणा के सिरसा में गुरमीत राम रहीम के आश्रम जैसा बताया। मामले का पता तब चला जब याचिका दायर करने वाले फाउंडेशन फोर सोशल इम्पावरमेंट नाम के एनजीओ ने आश्रम पर लड़कियों एवं महिलाओं को अवैध रुप से बंधक बनाकर रखने और उन्हें अपने अभिभावकों से नहीं मिलने देने का आरोप लगाया था।
एनजीओ ने आश्रम के खिलाफ कोर्ट में याचिका दायर की। उसने कोर्ट से कहा कि एक दंपति ने पुलिस में बलात्कार की शिकायत की लेकिन अब तक FIR दर्ज नहीं हुई। उसने उस लड़की को अदालत में पेश करने को कहा जो किसी तरह उस आश्रम से बाहर निकल गई। आश्रम में उससे बलात्कार किया गया था। कोर्ट ने आध्यात्मिक विश्व विद्यालय के संस्थापक विरेंद्र दीक्षित को जांच में सहयोग करने का निर्देश दिया।
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