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नशीली दवा दुरुपयोग और अवैध व्यापार के विरुद्ध अंतर्राष्ट्रीय दिवस आज

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नई दिल्ली: आज केन्द्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री, थावरचंद गहलोत, सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्यमंत्री रामदास आठवले, कृष्णपाल गुर्जर और विजय सांपला तथा अन्य गणमान्य व्यक्तियों तथा 4000 सहभागियों के साथ प्रात: 8 बजे इंडिया गेट के मैदान में शपथ लेंगे। नशीली दवा दुरुपयोग के विरुद्ध दौड़ को मंत्रियों द्वारा जन-सुग्राहीकरण के लिए हरी झंडी दिखाई जाएगी, जिसके बाद पुलिस बैंड का प्रतीकात्मक स्लोगन मार्च होगा। इस वाकाथन का मुख्य आकर्षण विभिन्न सीमा सुरक्षा बलों के जवानों की भागीदारी है। प्रात: कालीन वाकाथन के बाद, 28 जून को अपराह्न 2.30 बजे मावलंकर हॉल, नई दिल्ली में एक पूर्ण शिक्षाप्रद मनोरंजक कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा, जिसमें कार्यक्रमों की एक शृंखला का आयोजन किया जाएगा, जैसे गीत एवं नाट्य प्रभाग द्वारा मूक-अभिनय, व्यंग्य-रचना, डीएवीपी और इस क्षेत्र के अन्य गैर-सरकारी संगठनों द्वारा प्रदर्शनी।

श्री थावरचंद गहलोत, माननीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री का संबोधन भी होगा। नशीली दवा और नशीले पदार्थ का दुरुपयोग एक गंभीर समस्या है जिससे देश के सामाजिक ताने-बाने पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। नशीली दवाओं की लत के कारण समाज के बुनियादी ढांचे में सभी पहलुओं की दृष्टि से बदलाव आता है। इससे न सिर्फ व्यक्ति के शारीरिक व मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ता है अपितु यह परिवार के विघटन और अस्थिरता का कारण भी बनता है और साथ ही साथ इससे उत्पादकता में कमी आती है, अपराध बढ़ता है, भ्रष्टाचार फैलता है, सामान्य नैतिक मूल्यों का ह्रस होता है और अर्थव्यवस्था पर दुष्प्रभाव पड़ता है।

वित्त मंत्रालय ने सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग सहित सभी हित-धारकों के परामर्श से स्वापक औषध द्रव्य और मन:प्रभावी पदार्थ नीति (एनडीपीएस नीति) तैयार की है, जिसका उद्देश्य स्वापक नशीली दवा और मन:प्रभावी पदार्थों के प्रति भारत की नीति तैयार करना; भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों और संगठनों तथा राज्य सरकारों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों, गैर-सरकारी संगठनों इत्यादि के लिए मार्गदर्शक के रूप में कार्य करना व समग्र रूप में नशीली दवा चुनौती का मुकाबला करने के लिए भारत की प्रतिबद्धता की पुन: पुष्टि करना है। यह नीति, नशीली दवा व्यसनियों के जागरूकता सृजन, समुदाय आधारित प्रोत्साहनात्मक परामर्श हस्तक्षेपों, पहचान, उपचार और पुनर्वास तथा प्रतिबद्ध एवं कुशल संवर्ग का निर्माण करने के लिए स्वयं सेवकों/सेवा प्रदाताओं और अन्य स्टेक होल्डरों के प्रशिक्षण के माध्यम से स्वापक नशीली दवाओं और मन:प्रभावी नशीले पदार्थों की मांग में कमी के लिए त्रिआयामी कार्य नीति की पुन: पुष्टि करती है।

इस नीति में यह भी परिकल्पित है कि राष्ट्रीय आवास सर्वेक्षण अथवा किसी अन्य के माध्यम से देश में नशीली दवाओं के दुरुपयोग की सीमा का आकलन करने के लिए तंत्र तैयार किया जाना चाहिए। ऐसे सर्वेक्षण प्रत्येक पांच वर्ष में दोबारा किए जाने चाहिएं ताकि नशीली दवाओं के दुरुपयोग वे पैटर्न में परिवर्तन का अध्ययन किया जा सके तथा नशीली दवाओं की आपूर्ति और मांग में कमी के लिए किए जाने वाले विभिन्न उपायों के प्रभाव का आकलन किया जा सके। भारत ने तीन संयुक्त संयुक्त राष्ट्र अभिसमयों पर हस्ताक्षर किए हैं जिनमें स्वापक औषध द्रव्य अभिसमय, 1961; मन:प्रभावी पदार्थ अभिसमय, 1971; और स्वापक औषध द्रव्य और मन: प्रभावी पदार्थ, 1988 के अंतर्गत अवैध कानूनी व्यापार के विरुद्ध अभिसम शामिल है।

इस प्रकार भारत का अंतर्राष्ट्रीय दायित्व अन्य बातों के साथ-साथ नशीली दवाओं के दुरुपयोग को रोकना है। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 1998 में अपने 20वें विशेष सत्र में मांग में कमी करने को नशीली दवा नियंत्रण रणनीति के एक अनिवार्य भाग के रूप में स्वीकार किया है। मांग में कमी करने की रणनीति में नशीली दवा दुरुपयोग निवारण के लिए शिक्षा, चिकित्सा, पुनर्वास और नशीली दवा के व्यसनियों का सामाजिक एकीकरण शामिल है।सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने नशीली दवा दुरुपयोग को मनो-सामाजिक चिकित्सा समस्या माना है जिसे गैर- सरकारी संगठनों/ समुदाय आधारित संगठनों की सक्रिय भागीदारी के द्वारा परिवार/समुदाय आधारित दृष्टिकोण को अपनाकर सर्वोत्तम तरीके से दूर किया जा सकता है।

(ऋषि व्यास)

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