नई दिल्ली : बांसवाड़ा जिले के सरकारी अस्पताल में बीते दो महीनों में 90 बच्चों की मौत पर एनएचआरसी ने राजस्थान सरकार को नोटिस जारी किया है और चार हफ्तों के भीतर रिपोर्ट मांगी है। अस्पताल के खराब रखरखाव और घटिया व्यवस्था पर गंभीर आपथि जताते हुए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने कहा कि अस्पताल प्रशासन की लापरवाही पीड़ितों के जीने के अधिकार का उल्लंघन करती है। आयोग ने राजस्थान के मुख्य सचिव को नोटिस जारी कर महीने भर के भीतर इस मामले पर विस्तृत रिपोर्ट मांगी जिसमें यह भी बताना होगा कि अस्पताल के हालात में सुधार के लिए क्या कदम उठाए गए हैं और क्या कदम प्रस्तावित हैं।
एनएचआरसी ने एक वक्तव्य में कहा, उनसे यह सूचित करने को कहा गया है कि अस्पतालों और अन्य चिकित्सा देखरेख संस्थानों को हाल फिलहाल में क्या कोई निर्देश जारी किए गए हैं जिनमें उनसे चौकस और सावधान रहने को कहा गया हो ताकि मानवीय गलती या लापरवाही के कारण इस तरह की दर्दनाक मौत ना हों। इससे पहले राज्य सरकार ने भी बांसवाड़ा जिले के एमजी अस्पताल में बीते दो महीनों में 90 नवजातों की मौत की जांच के आदेश दिए थे। बांसवाड़ा के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. एचएल ताबियार ने कहा कि उनमें से कई बच्चों की मौत जन्म के वक्त ऑक्सीजन की कमी के कारण हुई लेकिन इस वजह से मौत के मुंह में जाने वाले बच्चों की सही संख्या जांच के बाद ही पता चल सकेगी।
एनएचआरसी ने कहा, देश के कई हिस्सों से इस तरह के कई मामले सामने आ रहे हैं,जहां बड़ी संख्या में मानव जीवन आधारभूत ढांचे की कमी और सरकारी अस्पतालों में चिकित्सको धिकारियों के संवेदनहीन रवैये के कारण खत्म हो गया। इसमें कहा गया, पांच सितंबर को मीडिया में आई खबर के मुताबिक अस्पताल का लेबर रूम गंदा था और जिन तौलियों का इस्तेमाल किया जाता है वह भी गंदे थे। रूम में साफ सफाई की कमी थी। एनएचआरसी के वक्तव्य में कहा गया, गर्भवती महिलाओं का वजन सामान्य से कम था और अस्पताल की ओर से उचित आहार के बारे में उन्हें ठीक ढंग से कोई परामर्श नहीं दिया गया था। कमजोरी के कारण उन्होंने बच्चों को समयपूर्व जन्म दिया, नवजात फेफड़ों के रोग से पीड़ित थे और यही उनकी मौत की वजह बनी।