सुप्रीम कोर्ट ने विश्वविद्यालय के छात्र संघ के चुनावों में शोधार्थियों को छात्रों का प्रतिनिधित्व करने और उसमें भाग लेने का अधिकार देने की मांग करने वाली याचिका पर दिल्ली विश्वविद्यालय से जवाब मांगा है। भारत के प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति ए. एम. खानविलकरकी पीठ ने रसायन विभाग में शोधार्थी (पीएचडी) अभिषेक वर्मा की याचिका पर दिल्ली विश्वविद्यालय और दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ( डूसू) से पांच मई तक जवाब देने को कहा है।
वर्मा ने अपनी याचिका में सवाल किया है, ”प्रवेश के आधार पर विश्वविद्यालय के विद्यार्थी होने के बावजूद शोधार्थी छात्र संघ के सदस्य क्यों नहीं बन सकते हैं? शोधार्थियों के साथ किसी स्पष्ट आधार के बिना भेदभाव नहीं किया जा सकता।”
उसमें कहा गया है, डूसू के संविधान के प्रावधान स्पष्ट तौर पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा मंजूर लिंगदोह समिति की सिफारिशों के विपरीत हैं। जैसे कि डूसू चुनाव में भाग लेने के लिए शोधार्थी की आयु 25 साल होनी चाहिए जबकि लिंगदोह समिति द्वारा अधिकतम आयु सीमा28 वर्ष रखी गयी थी और उसे शीर्ष अदालत ने भी स्वीकार किया था।
उसमें कहा गया है कि डूसू के संविधान में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है जिसके आधार पर शोधार्थियों को डूसू से जुड़ने से रोका जा सके। वर्मा ने इससे पहले दिल्ली उच्च न्यायालय में रिट याचिका दायर कर लिंगदोह समिति की सिफारिशों को लागू करने का अनुरोध किया था ताकि शोधार्थी भी छात्र संघ के चुनाव लड़ सकें।
अधिक जानकारियों के लिए बने रहिये पंजाब केसरी के साथ।