राज्यसभा ने आज विश्व जल दिवस पर इस बहुमूल्य प्राकृतिक संसाधन के महत्व को रेखांकित करते हुए इसके संरक्षण और बेहतर प्रबंधन पर बल दिया। सभापति एम. वेंकैया नायडू ने सदन की कार्यवाही शुरू होते ही कहा कि आज विश्व जल दिवस है जो इस प्राकृतिक संसाधन के महत्व को रेखांकित करने के लिए मनाया जाता है। इस बार जल दिवस के थीम ‘जल के लिए प्रकृति’ का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि सभी को जल संरक्षण के लिए प्राकृतिक उपायों पर काम करना चाहिए।
नायडू ने कहा कि मौजूदा समय में जलवायु परिवर्तन और जनसंख्या विस्फोट जैसी समस्याओं से स्वच्छ पेयजल की उपलब्धता प्रभावित हुई है। इस स्थिति में हम सभी को मिलकर जल प्रबंधन, पानी की रिसाइकलिंग और शोधन के बाद उसके उपयोग की दिशा में काम करना चाहिए। उन्होंने कहा कि सभी सदस्यों को अपने स्तर पर लोगों के साथ इस तरह के कामों को आगे बढाना चाहिए। पिछले दिनों एक रिपोर्ट आई थी कि दक्षिण अफ्रीका के शहर केपटाउन में कुछ ही दिनों का पानी बचा हुआ है यानि की एक वक्त के बाद शहर में पानी खत्म हो जाएगा।
जलसंकट का खतरा सिर्फ केपटाउन पर ही नहीं बल्कि आने वाले समय में विश्व के कई देशों पर मंडराने वाला है। ब्राजील के साओ पाउलो और भारत के बेंगलुरु में जल्द ही पानी की किल्लत हो जाएगी। जानकारी के अनुसार भारत के शहर बेंगलुरु में 79 प्रतिशत जलाशय अनियोजित शहरीकरण और अतिक्रमण की भेंट चढ़ चुके हैं। जलाशय के खत्म होने के लिए शहर के कुल क्षेत्रफल में 1973 की तुलना में निर्माणाधीन क्षेत्र में 77 प्रतिशत इजाफे का अहम योगदान है।
बेंगलुरु का भूमि जल स्तर पिछले दो दशक में 10-12 मीटर से गिरकर 76-91 मीटर तक जा पहुंचा है। साथ ही शहर में बोर-वेल की संख्या 30 साल में 5 हजार से बढ़कर 4.5 लाख हो गई है। वही भारत में पानी को लेकर हालात खराब है। जानकारी के मुताबिक युगांडा, नाइजर, मोजांबिक, भारत औऱ पाकिस्तान लिस्ट में उन देशों में शामिल हैं जहां पर सबसे ज्यादा जलसंकट मंडरा रहा है। इन देशों में कई फीसदी लोगों को साफ पानी पीना नसीब नहीं हो पा रहा है। भारत में 16.3 करोड़ लोग साफ पानी के लिए तरस रहे हैं। बता दें कि पिछले साल यह आंकड़ा 6 करोड़ 30 लाख लोगों का था। यानि की महज एक साल में इस आंकड़े में कई गुणा इजाफा हो गया है।
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