पश्चिमी दिल्ली : दिल्ली सरकार के बड़े अस्पतालों में शुमार संजय गांधी मेमोरियल अस्पताल प्रशासन ने दादागीरी दिखाते हुए रेजिडेंट डॉक्टरों की सैलरी काटने का फैसला लिया है। इससे इस अस्पताल के लगभग 120 रेजिडेंट डॉक्टरों (सीनियर व जुनियर) में रोष फैल गया है। रेजिडेंट डॉक्टरों की ओर से दूसरे अस्पतालों का भी हवाला दिया गया जहां पर डॉक्टरों की सैलरी नहीं काटी गई है। बावजूद इसके संजय गांधी मेमोरियल अस्पताल प्रशासन ने रेजिडेंट डॉक्टरों को अपनी दादागीरी दिखाने के लिए सैलरी काटने का फैसला लिया है।
बता दें कि बीते माह दिल्ली के सरकारी अस्पतालों के रेजीडेंट डॉक्टरों ने सुरक्षा और डॉक्टरों से जुड़े अन्य मांगों को लेकर हड़ताल कर दी थी। जिसके कारण कई दिन अस्पतालों में ईलाज नहीं हो सका था। हालांकि इस हड़ताल में शामिल होने के बावजूद भी दीन दयाल अस्पताल (डीडीयू) व हेडगेवार जैसे बड़े अस्पतालों ने सैलरी नहीं काटी है बल्कि दूसरी छुट्टियों से एडजस्ट कर दिया है। उधर, अस्पताल सूत्रों का कहना है कि अस्पताल में प्रशासनिक स्टाफ की भी भारी कमी है। यहां पर सैलरी से संबंधित कामों कों निपटाने वाले स्टाफ भी मौजूद नहीं हैं जिसके चलते अभी तक अप्रैल माह की सैलरी संबंधित कागजी प्रक्रिया शुरु ही नहीं हो सकी है। इसका खामियाजा अस्पताल के सभी स्टाफों को भुगतना पड़ रहा है। इससे पहले भी रेजिडेंट डॉक्टरों को सैलरी संबंधी समस्या से जूझना पड़ा था। मार्च माह की भी अधूरी सैलरी ही मिली थी। इतना ही नहीं, अस्पताल प्रशासन की लापरवाही के कारण कुछ जुनियर डॉक्टरों को तो सैलरी ही नहीं मिल पाई क्योंकि अस्पताल प्रशासन इन डॉक्टरों की सैलरी स्लिप विभाग को भेजना ही भूल गए थे। यह समस्या कोई पहली बार नहीं हुई है। बीते माह सफाई कर्मचारियों ने भी सैलरी न मिलने के कारण अस्पताल में हड़ताल कर दी थी। जिसकी वजह से अस्पताल की कई जरूरी सेवाएं ठप हो गई थी। इस पूरे मामले पर जब हमने अस्पताल के हमने संजय गांधी मेमोरियल अस्पताल के नए नवेले मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ. एस. सी. चंद्रा से संपर्क करने की कोशिश की लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया।