नई दिल्ली : दक्षिण-पूर्वी जिले में जींस की पैंट और टी-शर्ट पहनने का शौक रखने वाले पुलिसकर्मी अपने दफ्तर में केजुअल डे्रस पहनकर नहीं जा सकेंगे। वह फॉर्मल डे्रस तो पहन सकेंगे, लेकिन जींस और टी-शर्ट पहनकर दफ्तर में बैठ नहीं पाएंगे। इसके लिए जिले में एसीपी, एसएचओ और विभिन्न ब्रांच के इंस्पेक्टर की जवाबदेही तय की गई है कि वह सख्ती से इस आदेश का पालन करवाएं।
डीसीपी कार्यालय और एसीपी कार्यालय का स्टॉफ हो या फिर एसएचओ के रीडर और मालखाना इंचार्ज हों, इन सभी को अधिकांश तौर पर पुलिस की वर्दी में कम ही देखा जाता है। ये सभी वर्दी की बजाय केजुअल ड्रेस पहने दफ्तर में मिलते हैं। इसके मद्देनजर जिला उपायुक्त रोमिल बानिया ने एक आदेश जारी किया है कि देखने में आया है कि कुछ पुलिसकर्मी विभिन्न कार्यालय, ब्रांच और यूनिट में केजुअल डे्रस जैसे जींस और टी-शर्ट पहनकर कार्यालय आते हैं। उनका ऐसे कपड़े पहनकर आना खराब लगता है। यही स्थिति थानों में बनी रहती है कि कुछ पुलिसकर्मी वर्दी की बजाय टी-शर्ट, जींस की की पैंट और स्पोट्र्स शूज पहनकर टशन में दिखते हैं।
इसके लिए जिले में तैनात सभी पुलिसकर्मियों को उनकी ओर से हिदायत देते हुए एक सर्कुलर जारी किया गया है कि पुलिसकर्मी फॉर्मल ड्रेस के रूप में सामान्य शर्ट और ट्राउजर तो पहन सकते हैं, लेकिन दफ्तर में ड्यूटी के समय जींस और टी-शर्ट को पहनकर आने से बचें। इसके लिए जिले में तैनात विभिन्न एसीपी, एसएचओ और इंस्पेक्टर की जवाबदेही तय की गई है कि वे इस आदेश का सख्ती के साथ पालन करवाएं। इस आदेश के बाद से दफ्तर में वर्दी पहनकर आने का चलन छोड़ चुके कुछ पुलिसकर्मियों को पुराना ढर्रा बदलना होगा। यदि अब ऑफिस टाइम में उन्होंने जींस और टी-शर्ट पहनकर आने का मोह नहीं छोड़ा तो उन्हें डीसीपी साहब के आदेश का उल्लंघन करने पर लेने के देने पड़ सकते हैं।
(राहुल शर्मा)