नई दिल्ली: हाईकोर्ट ने कहा कि राजधानी में तेजी से हो रहे अवैध निर्माण को रोकने का यह सबसे सही समय है। कार्यवाहक मुख्य न्यायमूर्ति गीता मित्तल और न्यायमूर्ति सी हरिशंकर की पीठ ने कहा कि दिल्ली की जनता और सरकारी अधिकारियों को सुनिश्चित करना होगा कि कानून का सख्ती से पालन हो। पीठ ने कहा, कानूनी रूप से इस तथ्य का संज्ञान लिया जा सकता है कि जब अवैध तरीके से किसी भवन का निर्माण होता है तो इससे न केवल पड़ोसियों की संपत्ति प्रभावित होगी बल्कि जल प्रवाह और सीवेज प्रणाली में अनुचित और अवैध हस्तक्षेप होने लगता है जो शहर में तेजी से बढ़ा है। अदालत ने कहा कि शहर के वैधानिक मास्टर प्लान में इस बात को ध्यान में रखना होगा।
अदालत ने ऑल इंडिया एंटी करप्शन एंड क्राइम प्रिवेंशन सोसायटी की जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान यह बात कही। पीआईएल में अधिकारियों को दक्षिण दिल्ली नगर निगम के तहत बनाई गयीं 75 अवैध इकाइयों को गिराने का निर्देश देने की मांग की गयी। एनजीओ ने अदालत ने अनुरोध किया है कि जिस इलाके में अवैध निर्माण हुआ है उस इलाके के निगम के संबंधित अधिकारियों के खिलाफ सीबीआई को केस दर्ज करने का आदेश दिया जाए। साथ ही उस अवैध निर्माण को ढहाने के आदेश भी दिए जाएं।
हालांकि, अदालत ने सीबीआई जांच और अवैध निर्माण को ढहाने की मांग को खारिज कर दिया। अदालत ने कहा कि ऐसा वह तभी कर सकती है जब इसके समक्ष मामले से जुड़े सही और पूरे तथ्य हो। अदालत ने कोर्ट द्वारा नियुक्त कोर्ट कमिश्नर को आदेश दिया कि वह फिजिकली इलाके में जाकर ऐसे प्रॉपर्टी का निरीक्षण कर रिपोर्ट सौंपे। याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने 16 मई को कोर्ट कमिश्नर नियुक्त किया था। अदालत ने मामले की सुनवाई के दौरान गौर किया था कि अवैध निर्माण का असर स्वास्थ्य व स्वच्छता पर गंभीर रूप से पड़ता है।