नई दिल्ली : देश में मेडिकल की पढ़ाई के विनियम के लिए मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) को भंगकर नया नेशनल मेडिकल कमिशन (एनएमसी) लाने के केंद्र सरकार के नियत को चुनौती देते हुए देश में डॉक्टरों की सबसे बड़ी संस्था इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने एेलान कर दिया है कि अगर कैबिनेट बिल को वर्तमान स्वरूप में ही पास करती है तो वे देश के 13 लाख डॉक्टर एलोपैथ की प्रैक्टिश ही बंद कर देश को एलोपैथ मुक्त कर देंगे।
इसका बिगुल देशभर के मेडिकल कॉलेजों के छात्र आगामी दो अप्रैल को हड़ताल कर फूंकेंगे। एनएमसी के विरोध की आगे की रणनीति बनाने के लिए रविवार को राजधानी के इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम में डॉक्टरों ने महापंचायत किया। इसमें देश के 16 राज्यों से करीब 20 हजार डॉक्टर शामिल हुए। इस महापंचायत में डॉक्टरों ने एक स्वर से मौजूदा एनएमसी बिल और इसके लिए बनी संसदीय समिति को खारिज कर दिया। आईएमए के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. रवि वानखेड़कर ने इसकी घोषणा करते हुए कहा कि इसके बदले महापंचायत ने मौजूदा एमसीआई में कुछ बदलाव सुझाए हैं।
लेकिन सरकार अगर इसे नहीं मानती है और मौजूदा एनएमसी बिल को ही कैबिनेट में पास किया जाता है तो देशभर के 10 लाख डॉक्टर और तीन लाख मेडिकल के छात्र काम बंद कर देंगे। डॉ. वानखेड़कर ने सरकार को एमसीआई में सुधार का सुझाव देते हुए बताया कि रेजिडेंट डॉक्टरों की सर्विस कंडीशन तय करने का अधिकार यूजीसी के बजाए एमसीआई को देना चाहिए। नये मेडिकल कॉलेज खोलने के लिए मास्टर प्लान होना चाहिए। जिसमें उन इलाकों के नये कॉलेज खोलना चाहिए जहां पहले से कोई मेडिकल कॉलेज नहीं है। इसके लिए सभी जिले के जिला अस्पतालों को ही मेडिकल कॉलेज बनाया जा सकता है।
इन कॉलेजों में स्थानीय बच्चों से इस शर्त पर कि पास होने के बाद दस साल वहीं प्रैक्टिश करेंगे, आरक्षण देना चाहिए। अन्य कॉलेजों की तरह मेडिकल कॉलेजों की भी ग्रेडिंग होनी चाहिए। इससे पहले डॉक्टर सुबह राजघाट पहुंचे, वहां से वे अमृतसर, कोलकता, कन्याकुमारी समेत देश के चार इलाकों से आए साइक्लिस्टों के साथ इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम पहुंचे।
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