नई दिल्ली : दिल्ली ही नहीं बल्कि देशभर में डॉक्टरों के खिलाफ हिंसा के मामले में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। हर मामले के बाद डॉक्टर हड़ताल करते हैं और फिर एफआईआर के बाद बात आई गई हो जाती है। ऐसा ही एक मामला राजधानी के कश्मीरी गेट सुश्रुत ट्रामा सेंटर में हुआ। आश्चर्यजनक बात यह रही कि तिमारदारों और डॉक्टरों के बिच के इस झगड़े की कॉल पर आए पुलिसकर्मी खुद ही डॉक्टरों से बदतमीजी और तिमारदारों को भड़काने के आरोपों में घिर गए। ट्रामा सेंटर से मिली जानकारी के अनुसार शुक्रवार देर रात करीब 11 बजे अस्पताल में सड़क दुर्घटना में घायल एक मरीज उनके पास आया। इसकी जांघ की हड्डी टूट कर त्वचा से बाहर निकल गई थी। इससे जांघ में एक बड़ा घाव बन गया था और अत्यधिक खून बहने की वजह से जान को खतरा पैदा हो गया था।
डॉक्टरों ने तत्परता से इलाज करते हुए मरीज को खतरे से बाहर निकाला और टूटी हड्डी को जोड़ने के लिए किए जाने वाले ऑपरेशन के लिए मरीज को थोड़ा स्थिर होने के लिए निगरानी में रख लिया। बताया जा रहा है कि इस दौरान तिमारदारों ने मरीज के लिए अस्पताल से कंबल मांगा। लेकिन झमता से ज्यादा मरीज होने की वजह से अस्पताल कंबल देने में असमर्थ रहा। इस पर तिमारदारों का गुस्सा भड़क उठा और उन्होंने वहां मौजूद महिला नर्स से बदतमीजी शुरू कर दी। नर्स को बचाने आई महिला गार्ड और डॉक्टर भी तिमारदारों के गुस्से का शिकार हो गए। डॉक्टरों का कहना है कि स्थिति बिगड़ता देख अस्पताल में मौजूद ड्यूटी कांस्टेबल ने पीसीआर को बुलाया।
लेकिन पीसीआर से आए एएसआई ने स्थिति को संभालने के बजाए डॉक्टरों को ही दोषी बताते हुए तिमारदारों को भड़काने लगा। यही नहीं उसने डॉक्टरों को गोली मारने की धमकी भी दे दी। मामला और उलझता देख सिविल लाइन्स थाने के एसएचओ को मौके पर आना पड़ा। डॉक्टरों का कहना है कि एसएचओ ने भी पीसीआर कर्मी का ही पक्ष लिया। डॉक्टरों के काफी जोर देने के बाद उनका अरुणा आसफ अली अस्पताल में उनकी एमएलसी कराई गई। लेकिन इसके बाद भी मामला दर्ज नहीं किया गया। इससे नाराज डॉक्टर और अस्पताल कर्मियों ने हड़ताल पर जाने की घोषणा कर दी। लेकिन अस्पताल प्रशासन के समझाने के बाद हड़ताल समाप्त कर दिया गया।
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