नई दिल्ली: दिल्ली के निजी अस्पतालों को लेकर आ रही शिकायतों पर दिल्ली सरकार ने सख्त रुख अपनाने का निर्णय लिया है। दिल्ली सरकार का मानना है कि राजधानी में स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाने के लिए निजी अस्पतालों का फलना जरूरी है लेकिन इन्हें गलत काम करने की छूट नहीं दी जा सकती। इस संबंध में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का कहना है कि मैक्स अस्पताल ने जो आपराधिक लापरवाही की उसे देखते हुए उनका लाइसेंस रद्द किया।
तालकटोरा में आयोजित कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा कि सरकार निजी अस्पतालों के कार्य में हस्तक्षेप नहीं करेगी लेकिन यदि उन्होंने गलती की तो उन्हें छोड़ा भी नहीं जाएगा। उन्होंने कहा कि पहले निजी बिजली कंपनियों की मनमानी चलती थी, लेकिन जब से दिल्ली में आप सरकार आई है बिजली के दाम नहीं बढ़ने दिए, वहीं रेट भी आधे कर दिए हैं। अब अस्पतालों के लिए भी सरकार सख्त रुख अपनाएगी। उन्होंने कहा कि पहले की सरकार निजी अस्पतालों को कुछ नहीं कहती थी, लेकिन हमारी सरकार ने ठोस कदम उठाकर स्पष्ट संकेत दिया है। उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार स्वास्थ्य क्षेत्र को सुधारने के लिए सरकारी अस्पतालों में सुधार कर रही है। इसके अलावा मोहल्ला क्लीनिक बनाए जा रहे हैं। लेकिन निजी अस्पतालों की भूमिका भी अहम है।
उन्होंने कहा कि यदि कोई निजी अस्पताल गलत करता है तो उसे छोड़ा नहीं जाएगा। वहीं स्वास्थ्य विभाग के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि दिल्ली में आर्थिक रूप से कमजोर (ईडब्ल्यूएस) वर्ग के बेड के मामले में लगातार निजी अस्पतालों से शिकायतें आती हैं। निजी अस्पताल विभिन्न प्रकार के कारण बताकर मरीजों को भर्ती करने से दूरी बनाता है। कई बार लंबी वेटिंग दिखाकर मरीजों को पैसे देकर उपचार करने के लिए मजबूर करता है। अधिकारियों का कहना है कि दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में अधिकारियों के पास लगातार शिकायतें दी जाती हैं लेकिन समय पर तकनीकी कारणों से मदद नहीं हो पाती।
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