नई दिल्ली : लाभ के पद मामले में आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों के संबंध में चुनाव आयोग के फैसले को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मंजूरी मिलने के बाद भी रास्ते खुले हुए हैं। आप विधायक अपनी बात रखने के लिए कोर्ट जा सकते हैं। इस संबंध में सरकारी वकील सुभाष तंवर ने कहा कि राष्ट्रपति ने चुनाव आयोग के फैसले को मंजूरी दी है न की स्वयं फैसला दिया है। आप विधायक चुनाव आयोग के फैसले को कोर्ट में चुनौती दे सकते हैं। उनके पास हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के रास्ते खुले हुए हैं। यह उनका लीगल राइट है। उन्होंने कहा कि नियम के तहत अपनी बात कोर्ट के माध्यम से रख सकते हैं।
वहीं इस संबंध में एडवोकेट प्रशांत पटेल ने कहा कि आप विधायकों के पास अब कोई रास्ता नहीं है। हालांकि वह कोर्ट जरूर जा सकते हैं लेकिन उन्हें राहत मिलेगी यह संभावनाएं न बराबर हैं। बता दें कि जांच के दौरान चुनाव आयोग ने पाया कि आप के सभी 20 विधायक ऑफिस ऑफ प्रॉफिट के दायरे में आते हैं। इन्हें आप सरकार ने 13 मार्च 2015 को संसदीय सचिव बनाया था। इसके बाद 19 जून को एडवोकेट प्रशांत पटेल ने राष्ट्रपति के पास इन सचिवों की सदस्यता रद्द करने के लिए आवेदन किया। राष्ट्रपति की ओर से 22 जून को यह शिकायत चुनाव आयोग में भेज दी गई।
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