नई दिल्ली : कानून का ध्यान रखने वाले को भी सजा मिलती है। यह कहना है राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत का। शुक्रवार को भारतीय भाषा अभियान शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के तत्वावधान में ‘जनता को जनता की भाषा में न्यास’ विषय पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि झारखंड में भगवान बिरसा मुंडा हुए। उन्होंने झारखंड के उत्थान के लिए प्रयास किया। उनके साथ उनके 240 अनुयायी भी थे। ऐसे में यह आम बात थी कि भगवान बिरसा मुंडा को सजा होती लेकिन इस मामले में उनके अनुयायी को भी आजीवन कारावास की सजा हुई।
उन्होंने कहा कि न्यायालय में भगवान मुंडा के साथ उनके अनुयायियों पर भी महाभियोग चला। इस दौरान भगवान मुंडा की संदिग्ध परिस्थिति में मौत हुई। इस मौके पर भारतीय भाषा अभियान के राष्ट्रीय संयोजक अरुण भारद्वाज ने कहा कि न्यायालयों में जनता को उन्हीं की भाषा में न्याय मिले इसका बीड़ा भारतीय भाषा अभियान ने उठाया है। उन्होंने कहा कि देश के 70 से 80 फीसदी लोग विभिन्न भाषाओं का प्रयोग करते हैं, लेकिन अदालतों में केवल एक ही भाषा अंग्रेजी का इस्तेमाल किया जाता है। यही कारण है कि केस से संबंधित लोगों को पता ही नहीं चल पाता है कि जज ने क्या फैसला सुनाया है।
भारद्वाज ने बताया कि न्यायालयों में हिंदी भाषा के प्रयोग पर जोर देते हुए भारतीय भाषा अभियान समय-समय पर संगोष्ठियों का आयोजन कर रहा है। कार्यक्रम के दौरान एक शाॅर्ट फिल्म दिखाई गई, जिसमें देश के विभिन्न राज्यों व कोनों से तैयार की गई लोगों की वीडियो क्लिप को दिखाया गया। दिल्ली के शमसूद्दीन ने क्लिप में बताया कि वह एलएलबी करना चाहते थे, लेकिन कोर्स का माध्यम अंग्रेजी होने के कारण वह एलएलबी नहीं कर पाए। उन्होंने कहा कि न्यायालयों में सुनवाई मातृभाषा हिंदी में ही होनी चाहिए। इस मौके पर केरल के न्यायमूर्ति श्री हरि हरण, हैदराबाद के न्यायमूर्ति वेंकटेश्वर रेडी, भारतीय भाषा अभियान के संरक्षक अतुल भाई कोठरी व राष्ट्रीय शिक्षा उत्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष दीनानाथ बत्रा उपस्थित रहे।
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