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मोटरसाइकिल से हो रही सस्ते राशन की ढुलाई

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नई दिल्ली : राजधानी में सस्ते राशन की ढुलाई मोटरसाइकिल और स्कूटरों से हो रही है। जी हां, यह सच है। भारत के नियंत्रक महालेखापरीक्षक (कैग) द्वारा जारी की गई रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है। रिपोर्ट में कहा गया कि 31 मार्च 2017 को खत्म हुए वर्ष में 1589.92 क्विंटल सस्ते राशन की ढुलाई बस, स्कूटर, मोटरसाइकिल और तिपहिया वाहनों में की गई। भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के गोदामों से एफपीएस तक एसएफए की ढुलाई के लिए 207 वाहनों की जांच की गई।

इसमें से दस वाहन सरकारी विभाग में पंजीकृत थे। 42 वाहन परिवहन विभाग में पंजीकृत नहीं थे। आठ वाहन जिन्होंने 1589.92 क्विंटल एसएफए एफपीएस तक पहुंचाया उसमें बस, मोटरसाइकिल और तिपहिया वाहन पंजीकृत हैं। इस मामले में कैग ने राशन चोरी की संभावना को व्यक्त किया है। रिपोर्ट के अनुसार विभाग को इसकी जांच करनी चाहिए थी।

मुख्यमंत्री ने साधा निशाना
गलत वाहनों के माध्यम से हुई राशन की ढुलाई को लेकर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने उपराज्यपाल अनिल बैजल पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि डोर स्टेप डिलीवरी सिस्टम को रद्द कर एलजी ने इन्हें बचाने का प्रयास किया है। पूरा राशन माफिया राजनीतिक स्वामियों द्वारा संरक्षित पकड़ में रही। डोर स्टेप डिलीवरी के माध्यम से इस माफिया को नष्ट किया जा सकता है। वहीं सरकार के अन्य मंत्री का दावा है कि वह कैग द्वारा उठाए गए सवालों की सीबीआई जांच करवाएगी।

रईसों को भी चाहिए सस्ता राशन
दिल्ली में रईसों को भी चाहिए सस्ता राशन। जी हां दिल्ली में नौकर रखने की क्षमता रखने वाले लोगों ने भी एनएफएस कार्ड बनाए हैं। यहीं नहीं उन्होंने अपने कार्ड में अपने नौकरों का भी नाम लिखवा दिया है। रिपोर्ट के अनुसार 1009 राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कार्डों के लाभार्थियों में नौकरों को शामिल कर लिया है। ऐसे कुल 1051 लाभार्थी हैं। इनमें १६१ लोग १४ वर्ष से कम उम्र के हैं। कैग ने सवाल उठाया है कि जिसके पास नौकर रखने की क्षमता है उसे सस्ते राशन की सुविधा कैसे दी गई। यहीं नहीं १४ वर्ष से कम लोगों को नौकरी कैसे दी गई।

गरीब बन गए दुकानदार
दिल्ली में सस्ता राशन ले रहे लोग भी दुकानदार बन गए। जबकि नियम के तहत वित्तीय स्थिति एवं व्यावसायिक परिसर के स्वामि को ही यह सुविधा देनी थी। कैग रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली में 792 एफपीएस लाइसेंस धारक एपएफएस लाभार्थी हैं। कैग ने सवाल उठाया कि ऐसे लोगों को लाइसेंस कैसे दे दिया गया। हालांकि विभाग ने जांच का भरोसा दिया है। इसके अलावा परिवार में वस्यक महिला मुखिया होने के बाद भी 12852 कार्ड में पुरुष को मुखिया बना दिया गया।

फर्जी कार्ड की संभावना
राजधानी में सस्ता राशन ले रहे लोगों में फर्जी कार्ड होने की संभावना है। कैग की रिपोर्ट में सवाल उठाए गए हैं कि विभाग ने 100 फीसदी प्रमाणिक सत्यापन नहीं किया। कैग ने सवाल उठाया कि विभाग ने सत्यापित करने का कोई तंत्र विकसित नहीं किया। यहीं नहीं कई राशन कार्ड में माता-पिता के नाम की जगह एबीसीडी या मोबाइल नंबर लिखे थे। इसके अलावा 412 कार्डों में लाभार्थियों के नाम दोहराए गए हैं।

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