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दवा खरीदी में भ्रष्टाचार पर सीबीआई जांच की मांग

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रायपुर : नेता प्रतिपक्ष टीएस सिंहदेव ने सीएम को दूसरा पत्र लिखा है। सिंहदेव ने दवा खरीदी में भ्रष्टाचार पर सीबीआई जाँच की मांग की है साथ ही सिंहदेव ने अपनी इस पत्र में सरकार के पीपीपी मॉडल पर करारा तंज कसा है। इस मॉडल को औचित्यहीन बताया है। इसके पूर्व में आज ही टीएस ने सीएम को पत्र लिखकर वेदांता कैंसर अस्पताल एवं अनुसंधान संस्थान की स्थापना के संबंध में स्पष्टीकरण की मांग की है।

सिंहदेव ने पत्र में लिखा है कि सीजीएमएससी द्वारा विभिन्न स्तरों पर आर्थिक भ्रष्टाचार के मामले सामने आये हैं, जिनमें ब्लैक लिस्टेड कंपनियों से दवाई की खरीदी, गुणवत्ताहीन एवं कालातीत होने वाली दवाईयों की खरीदी सहित वित्तीय वर्ष के समाप्ति के समय आनन-फानन में दवाईयों की खरीदी सहित दवाई खरीदी में कमीशनखोरी व घूसखोरी के एक के बाद एक मामले सामने आने के बाद, मंत्रालय से लेकर पूरा स्वास्थ्य विभाग सवालों के घेरे में है।

सीजीएमएससी के जनरल मैनेजर को लाखों रूपये रिश्वत लेते हुए,एंटी करप्शन ब्यूरों द्वारा गिरफ्तार किया जाना इस बात की पुष्टि करता है। इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि,भ्रष्टाचार का स्वरूप और भी व्यापक हो सकता है।

उल्लेखनीय है कि, प्रदेश में हुये ‘नसबंदी काण्ड में गुणवत्ताहीन दवाईयों के इस्तेमाल से दर्जनों महिलाओं की असामयिक मृत्यु हुई एवं आजपर्यन्त दोषियों पर कोई कार्यवाही भी नहीं हो पाई है। ऐसी घटनाओं से सबक न लेते हुये, पुन: वहीं ऐसे मामले प्रकाश में आ रहे हैं, सरकार की गंभीरता का अनुमान लगाया जा सकता है।

प्रदेश के अस्पतालों में जीवन रक्षक व संक्रामक रोगों की प्रतिरोधक दवाईयों एवं आवश्यक उपकरणों का अभाव है. प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं का स्तर लगातार गिरता जा रहा है,ऐसे में स्वास्थ्य अमला कैसे काम कर रहा है, यह चिंता का विषय है. एक ओर आम नागरिकों को रियायती दर पर चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सुविधाएं प्राप्त नहीं हो पा रही है,दूसरी ओर राज्य सरकार, सरकारी अस्पतालों को पीपीपी मॉडल के माध्यम से प्रायवेट कंपनियों को देने की अलग व्यवस्था कर रही है,जो कि औचित्यहीन है।

ऐसा होने से स्वास्थ्य सेवाएं गरीब व आम आदमी की पहुंच से और दूर हो जायेंगे एवं निजी अस्पताल द्वारा मुनाफाखोरी भी बढ़ेगी। सीजीएमएससी द्वारा दवाई खरीदी में लगातार हो रहे करोड़ों रूपये के घोटालों की निष्पक्ष जांच सीबीआई से कराई जावे, ताकि दवाई खरीदी में पारदर्शिता व विश्वसनीयता बरकरार रहे।

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