पोरबंदर : राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने आज कहा कि महात्मा गांधी श्रम की गरिमा में विश्वास करते थे और स्वच्छता के क्षेत्र में किये जा रहे विभिन्न कार्याे से मेहनतकश लोगों का आर्थिक विकास होगा और उनके जीवन स्तर में सुधार होगा। राष्ट्रपति ने कीर्ति मंदिर में ग्रामीण गुजरात को खुले में शौच से मुक्त घोषित करने के लिए आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि स्वच्छता केवल सफाई कर्मचारियों और सरकारी विभागों की ही जिम्मेदारी नहीं हैं बल्कि यह एक बहु-साझेदारी राष्ट्रीय अभियान है। लगभग सौ वर्ष पूर्व गांधी जी ने शौचालय की सफाई स्वंय करके अपने प्रयासों से यह हमें सिखाने की कोशिश की थी।उन्होंने कहा कि 2 अक्टूबर, 2019 तक स्वच्छ भारत मिशन के लक्ष्यों को प्राप्त करना राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150 वीं जन्म शताब्दी पर उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि होगी। गुजरात द्वारा आज की उपलब्धि स्वच्छ भारत की दिशा में एक बड़ा कदम हैं।कोविंद ने कहा कि जैसा कि हम सभी जानते हैं कि बापू पूरे समाज का समग, विकास चाहते थे। वे श्रम की गरिमा में विश्वास करते थे।
यहा आज जिन सुविधाओं की शुरऊआत की गयी है उनसे यहा के मेहनतकश लोगों का आर्थिक विकास होगा और उनके जीवन स्तर में सुधार होगा। उन्होंने कहा कि समुद, तट पर रहने वाले सौराष्ट्र के लोग खारे पानी तथा प्रकृति की अन्य चुनौतियों का सामना करते हुए अपनी मेहनत से अपने जीवन का निर्माण करते हैं। यहा के लोग अपने परिश्रम और पुरुषार्थ के लिए जाने जाते हैं। इस प्रकार इस क्षेत्र के लोग गुजरात की उद्यमशीलता का प्रतिनिधित्व करते हैं।राष्ट्रपति ने कहा कि हम सब गुजराती भाई-बहनों के लिए अक्तूबर का मास बहुत ही महत्वपूर्ण महीना है। आज के दिन, पूरे विश्व में अपनी कीर्ति फैलाने वाले महात्मा गांधी का जन्म इसी राज्य में हुआ था। 15 दिन बाद ही गुजराती नूतन वर्ष का आगमन होगा जब पूरे देश में दीवाली का त्योहार मनाया जाएगा।कोविंद ने कहा कि 31 अक्तूबर को हमारे देश के वर्तमान स्वरूप को सुनिश्चित करने वाले लौह पुरऊष सरदार पटेल की जयंती हम सब मनाते हैं। भारत की आजादी के निर्णय के समय लगभग चालीस प्रतिशत क्षेत्र 550 से अधिक रजवाड़ों के अधीन था।
इन सभी रजवाड़ों का भारत में विलय सरदार पटेल के ही अथक प्रयास से हुआ था। तब के जूनागढ़ रियासत के इस क्षेत्र का भारत के संघ में विलय भी सरदार पटेल की अद्भुत क्षमताओं के कारण ही संभव हो सका था। देश को वर्तमान स्वरऊप प्रदान करने के लिए पूरा भारत उनका ऋणी है। हम पूरी श्रद्धा से उनको नमन करते हैं।उन्होंने कहा कि गुजरात में मैंने यहा की उस विशेष रूर्जा का अनुभव किया है जो गुजरात के किसानों, उद्यमियों और सभी नागरिकों में देखने को मिलती है। इसी विशेष रूर्जा के कारण गुजरात विकास के अनेक पैमानों पर देश में अपना विशेष स्थान रखता है। कृषि, उद्योग, शिक्षा, कला, साहित्य, राजनीति आदि अनेक क्षेत्रों में गुजरात ने देश का गौरव बढ़ाया है।उन्होंने कहा कि तटीय गुजरात ने प्राचीन काल से ही देश के विकास में अपना योगदान दिया है। देश के बंदरगाहों से होने वाले कुल आवागमन का लगभग 48 प्रतिशत गुजरात के बंदरगाहों से ही होता है। यह गुजरात के लिए गर्व की बात है। प्राचीन काल से ही विख्यात कांडला के बड़े बंदरगाह के अलावा गुजरात में 40 से अधिक बंदरगाह हैं।
सरकारी विज्ञप्ति के अनुसार, राष्ट्रपति ने कहा कि समुद्री मछलियों के कारोबार में गुजरातका देश में पहला स्थान है और इस कारोबार में पूरे देश का लगभग 20 प्रतिशत हिस्सा तटवर्तीगुजरात से आता है। मछली पकडऩे के केंद्रों का निर्माण तथा पुराने केंद्रों को नए तरीकेसे विकसित करके गुजरात के इस कारोबार को और अधिक बढाया जा सकता है। इसीलिए जिन योजनाओंकी आज यहा शुरूआत की गई है उनसे यहा०५ की अर्थव्यवस्था को फायदा होगा और लोगोंके जीवन स्तर में सुधार होगा। यूरोपियन यूनियन के मानकों के स्तर पर पहु०५चने के प्रयासमें यह योजनाएं सहायक सिद्ध होंगी।उन्होंने कहा कि मंगरोल के तीसरे चरण की जिस योजना का आज शिलान्यास किया गया है उससेयहा की बर्थिंग और लैंडिंग क्षमता में तीन गुने से भी अधिक का इजाफा होगा।
आज यहा 400 नौकाओं को बर्थिंग और लैंडिंग सुविधा प्रदान करने की क्षमता है, जिसे बढाकर 1400नौकाओं को यह सुविधा दी जा सकेगी।कोविंद ने कहा कि इन सभी योजनाओं के विस्तार में जाने पर उनके व्यापक और दूरगामीफायदे स्पष्ट हो जाते हैं। आज शुरू की गयी योजनाओं के कारण, यहा के मछुआरे बंधुओंके लिए आज का दिन ऐतिहासिक सिद्ध होगा, ऐसा मेरा विश्वास है। इस क्षेत्र के 45 गांवोंमें पानी की आपूर्ति को बेहतर बनाने की अत्यंत महत्वपूर्ण योजना का शुभारंभ करके मुझेहार्दिक प्रसन्नता हुई है।राष्ट्रपति ने सरदार पटेल को भी स्मरण किया जिनका जन्मदिवस भी इसी माह 31 अक्टूबर को है।उन्होंने कहा कि जब महात्मा गांधी स्वतंत्रता आंदोलन के नेता थे, सरदार पटेल राष्ट्रीयएकता के मूर्तिकार थे। बापू और सरदार पटेल के योगदान के बिना आधुनिक भारत की कल्पनाभी असंभव है। यह दोनों महापुरूष भारत को गुजरात का उपहार हैं।